
—किया आह्वान,न कोई तुर्की जाए, न कोई तुर्की का कुछ खाये,आतंकवादियों का संरक्षण करने वाले देश से हर तरह का रिश्ता तोड़े
वाराणसी,18 मई (Udaipur Kiran) । आतंकवादियों को पनाह देने वाले पाकिस्तान और उसके सहयोगी देशों के खिलाफ लोगों का गुस्सा थम नही रहा। रविवार को लमही स्थित सुभाष मंदिर से विशाल भारत संस्थान के कार्यकर्ताओं ने तुर्किये और पाकिस्तान की प्रतीक रूप से शव यात्रा निकाल दोनों देशों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। प्रतीक शव यात्रा में सबसे आगे मुस्लिम धर्म गुरु अफसर बाबा हड़िया पाकिस्तान और शहाबुद्दीन उर्फ जोसेफ तिवारी तुर्किये के अंतिम संस्कार के लिए हड़िया लेकर चल रहे थे।
इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि जब तुर्किये में भूकम्प आया था तब भारत ने उसके नागरिकों की जान बचाने के लिए राशन भेजा, दवा भेजी लेकिन उसके बदले तुर्किये ने भारत के नागरिकों की हत्या करने के लिए घातक ड्रोन भेजे। तुर्किये पाकिस्तानी आतंकवादियों के साथ खुलकर खड़ा हो गया। वर्ष 1192 में तुर्कों ने भारत पर हमला किया, भारत को गुलाम बनाया और वर्षों तक भारत के लोगों के साथ नस्लीय भेदभाव करते रहे। खुद सुल्तान बलबन ने कहा था कि जब मैं किसी तुच्छ मुसलमान को देखता हूँ तो मेरी नाड़ी क्रोध से उत्तेजित हो जाती है। पाकिस्तान के साथ जब जंग शुरू हुई, तो तुर्किये पाकिस्तान के साथ खड़ा हो गया। ऐसे में भारत के लोगों ने पाकिस्तान और तुर्किये का पूर्ण बहिष्कार करने का स्वतः फैसला लिया है।
इस अवसर पर संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राजीव ने कहा कि जिस तुर्की के लोगों के जीवन को बचाने के लिए भारत ने दवा और अनाज भेजा, वही तुर्की पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत को तबाह करना चाहता है। ऐसे तुर्की से किसी तरह का कोई रिश्ता नहीं रखना चाहते। पाकिस्तान और तुर्की दोनों आतंकियों के मददगार है। इनका पूर्ण बहिष्कार होना चाहिए। प्रतीक शव यात्रा में डॉ अर्चना भारतवंशी, डॉ नजमा परवीन, डॉ मृदुला जायसवाल, अब्दुर्रहमान, अशद, लियाकत, रईस, अफ़रोज अहमद, समीर खान, समीर उल्लाह खान, जमील खान, नसीम खान, मुहम्मद शहाबुद्दीन आदि शामिल रहे।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
