पुंछ, 16 मई (Udaipur Kiran) । भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुई सहमति के बाद पुंछ के सलोत्री में नियंत्रण रेखा के पास के आखिरी गांव में विस्थापित सीमावर्ती निवासियों ने शुक्रवार को लौटना शुरू कर दिया है।
नियंत्रण रेखा के पास जम्मू और कश्मीर के जिलों में हुई गोलाबारी के कारण घरों और बुनियादी ढांचे को काफी नुकसान पहुंचा है, साथ ही नागरिकों की जान भी गई है। गांव के लोगों ने भारत और पाकिस्तान के बीच बनी सहमति के लिए सरकार को धन्यवाद दिया।
सलोत्री गांव के निवासी अमजीद अली ने कहा कि हम यहां रहते हैं और हमने पहली बार ऐसा कुछ होते देखा है। सरकार ने हमारी सुरक्षा के लिए हरसंभव मदद की थी लेकिन फिर भी दोनों देशों के बीच के हालात देखकर हम डर गए थे। भारतीय सेना ने भी हमें हरसंभव सुरक्षा मुहैया कराई और हमारा ख्याल रखा। हालात के बाद पूरा गांव खाली हो गया था। हम अपने गांव में वापस आ गए हैं क्योंकि वहां फिर से शांति है।
एक अन्य ग्रामीण हाजी जुनियत ने सरकार से वहां बंकर बनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यहां करीब 400 लोग रुके थे। जब दोनों देशों के बीच संघर्ष शुरू हुआ तो लोग गांव छोड़कर चले गए। प्रशासन ने हमारी देखभाल की और हमारी समस्या सुनी। आज हम अपने गांव वापस आ गए हैं। पाकिस्तान की सीमा नजदीक है लेकिन यहां पर्याप्त बंकर नहीं हैं। मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि यहां बंकर बनाए जाएं। हम दोनों देशों से आग्रह करते हैं कि युद्ध समाधान नहीं है क्योंकि ऐसी स्थितियों में लोग मरते हैं। उन्होंने कहा कि हम यहां रहते हैं और सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए यह बहुत मुश्किल है।
इससे पहले गुरूवार को भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में डोर-टू-डोर सहायता अभियान चलाया, खासकर नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास के इलाकों में जो हाल ही में पाकिस्तानी गोलाबारी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। आउटरीच प्रयास के हिस्से के रूप में सेना के जवानों ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद सीमा पार की गोलाबारी से प्रभावित नागरिकों को दवाइयों और राशन सहित आवश्यक आपूर्ति वितरित की।
सेना के रोमियो फोर्स के जवानों ने स्थानीय लोगों से बातचीत की ताकि उनकी ज़रूरतों को समझा जा सके और मौजूदा सुरक्षा स्थिति के दौरान उन्हें आश्वस्त किया जा सके।
ऑपरेशन सिंदूर 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के लिए भारत की निर्णायक सैन्य प्रतिक्रिया थी। 7 मई को शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों से जुड़े 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए थे।
हमले के बाद पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा और जम्मू-कश्मीर में सीमा पार से गोलाबारी की और साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों में ड्रोन हमलों का प्रयास किया जिसके बाद भारत ने समन्वित हमला किया और पाकिस्तान में 11 एयरबेसों में रडार बुनियादी ढांचे, संचार केंद्रों और हवाई क्षेत्रों को नुकसान पहुंचाया। इसके बाद 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच शत्रुता समाप्त करने की सहमति की घोषणा की गई।
(Udaipur Kiran) / बलवान सिंह
