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अहिल्याबाई होलकर ने राजसत्ता को सेवा तथा न्याय का माध्यम माना: कविता पाटीदार

कार्यक्रम में बोलती कविता पाटीदार
कार्यशाला में उपस्थित भाजपा के कार्यकर्ता

लखनऊ,14 मई (Udaipur Kiran) । पुण्यश्लोक महारानी अहिल्याबाई होलकर जन्म त्रिशताब्दी वर्ष स्मृति अभियान की राष्ट्रीय सहसंयोजक व राज्यसभा सांसद कविता पाटीदार ने कहा कि सुशासन के दृढ़ संकल्प के साथ राजसत्ता सम्भालने वाली लोकमाता ने शासन को सेवा तथा न्याय का माध्यम माना। स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का काम किया। अहिल्याबाई ने हमें प्रेरणा दी है कि हमें जीवन का उद्देश्य जनकल्याण के कार्यों में निहित करना है। हमारे ना रहने पर भी हमारी स्मृतियां हमारे पुण्य कर्मों के द्वारा जीवित रहे।

इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में बुधवार को आयोजित कार्यशाला को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मैं जिस इन्दौर से आयी हूं, वही इन्दौर की भूमि लोकमाता अहिल्याबाई होलकर की कर्मभूमि थी। अभियान के माध्यम से लोकमाता अहिल्याबाई होलकर की 300वी जयंती पर उनके आचरण और उनके व्यवहार को प्रसारित करने का काम हम सभी करेंगे। अभियान के माध्यम से लोकमाता अहिल्या बाई होलकर के शौर्य, न्याय, सेवा, त्याग, समर्पण को एक-एक गांव, शहर, गली, मुहल्लों में एक-एक व्यक्ति के मस्तिष्क तक पहुंचाने का काम करना है। ताकि लोग उनसे प्रेरणा लेकर सेवा के मार्ग पर आगे बढ़ा सकें।

उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होलकर नारी सशक्तिकरण का सबसे बड़ा उदाहरण है। भारतीय जनता पार्टी उनके संदेश को लेकर लोगों के बीच संवाद करेगी और देश की मां, बहन, बेटियां लोकमाता से प्रेरणा लेेकर आगे बढे़गी। साथ ही देश तथा समाज को दिशा देने का काम करेंगी। देश की हर बेटी अहिल्याबाई जी से प्रेरणा लेकर राजनैतिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक, धार्मिक व सामाजिक क्षेत्रों में नेतृत्व करने के लिए आगे आयेंगी। इसी उद्देश्य के साथ भारतीय जनता पार्टी विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से यह अभियान लेकर जनता के बीच और विशेषकर मातृशक्ति के बीच पहुंचेगा।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने कहा कि महारानी अहिल्याबाई होलकर ने कठिन स्थितियों में भी प्रजा की आवश्यकताओं के लिये सोच-समझकर निर्णय लिया। लाभ-हानि के तर्क से हमेशा दूर रहीं, जिसके कारण उनकी प्रजा उनको देवी और लोकमाता कहकर पुकारने लगी। आर्थिक प्रबंधन की कुशलता से ट्रस्ट बनाया, जिसमें करोडो़ रुपये एकत्र करके जमा कराए। इसी धन से उन्होंने पूरे भारत में कन्याकुमारी से हिमालय तक द्वारिका से पुरी तक मंदिर, घाट, तालाब, धर्मशालायें, बावडिया, कुये, भोजनालय आदि बनबाये। केदारनाथ, वाराणसी, वृन्दावन, मथुरा, गंगोत्री, सहित 57 नगरों में लोकमाता अहिल्याबाई ने धार्मिक व सामाजिक निर्माण और पुनर्निमाण कराया। काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। काशी में मणिकर्णिका घाट का निर्माण कराया।

चौधरी ने कहा कि महारानी ने अपने राज्य में भोजन और पानी का प्रबंध किया, जिससे कोई रात में भूखे न सो सके। उनके अंदर प्रशासनिक कौशल था, जिसके कारण उनके राज्य में सामाजिक आर्थिक उन्नति होती रही। जमीन विवाद को निपटाने के लिये महारानी ने खसरा प्रणाली को लागू किया। जमीन पर लंबाई में 7 फलदार पेड़ और चौडाई में 12 फलदार पेड लगवाकर जमीन का विभाजन कराया साथ ही पर्यावरण को भी संवारने का काम किया। अपने राज्य को लगान वसूली के लिये तीन हिस्से में बांटा था। उनने खेती और वाणिज्य दोनों को ही आगे बढाया। विधवा पुनर्विवाह को प्रोत्साहित किया, बाल विवाह को प्रतिबंधित किया और महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। माहेश्वरी साडियों का बाजार देकर महिलाओं को कामकाजी बनाने वाली वे पहली महिला शासक थी।

(Udaipur Kiran) / बृजनंदन

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