मुंबई, 08 मई (Udaipur Kiran) । सोलहवें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगड़िया ने गुरुवार को कहा कि महाराष्ट्र राज्य की वित्तीय अनुशासन और देश की आर्थिक प्रगति में उसके महत्वपूर्ण योगदान सराहनीय है।
डॉ. अरविंद आज मुंबई के सह्याद्री अतिथिगृह में आयोजित वित्त आयोग की बैठक को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री तथा वित्त, नियोजन और उत्पादन शुल्क मंत्री अजीत पवार और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, आयोग के सदस्य डॉ. सौम्यकांती घोष और डॉ. मनोज पांडा उपस्थित थे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य सरकार की ओर से आयोग के समक्ष ज्ञापन प्रस्तुत किया। इसमें आयोग की कार्यसूची के अनुसार राज्य की विभिन्न मांगों और सुझावों को रखा गया। महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र और राज्यों के बीच कर वितरण का हिस्सा 41 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की मांग की है। साथ ही उपकर और अधिभार को प्रमुख करों में शामिल करने तथा केंद्र सरकार के गैर-कर राजस्व को भी कर विभाजन में शामिल करने की मांग की गई है। राज्य सरकार ने क्षैतिज कर वितरण के लिए नए मानदंड सुझाए हैं, जिनमें ‘सतत विकास और हरित ऊर्जा’ तथा भारत के सकल घरेलू उत्पाद में राज्य का योगदान शामिल हैं। इसके अलावा, ‘आय अंतर मानदंड’ को 45 प्रतिशत से घटाकर 37.5 प्रतिशत करने की भी माँग की गई है।
राज्य सरकार ने विशेष अनुदान के अंतर्गत मुंबई महानगर क्षेत्र के आर्थिक मास्टर प्लान के क्रियान्वयन, नदी जोड़ परियोजना, नया उच्च न्यायालय परिसर, जेल बुनियादी ढांचा, चिकित्सा विद्यार्थियों के लिए छात्रावास और इको-टूरिज्म जैसे विभिन्न क्षेत्रों के लिए कुल 1,28,231 करोड़ रुपये की माँग की है। इसके साथ ही राज्य के लिए राजस्व घाटा अनुदान की भी सिफारिश आयोग से की गई है। स्थानीय स्वराज संस्थाओं के लिए अनुदान को 4.23 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत करने और इसे ग्रामीण व शहरी आबादी के अनुपात में वितरित करने का सुझाव दिया गया है। नगर निकायों और महानगरपालिकाओं के लिए सार्वजनिक बस परिवहन और अग्निशमन सेवाओं हेतु अलग से अनुदान देने की भी मांग की गई है। इस बैठक के दौरान आयोग ने व्यापार एवं उद्योग जगत के प्रतिनिधियों, स्थानीय स्वराज संस्थाओं और विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से भी चर्चा की।
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(Udaipur Kiran) यादव
