RAJASTHAN

लापरवाही: हेरिटेज निगम ने बनाया सफाईकर्मी का 53 करोड़ का एरियर

हेरिटेज निगम ने बनाया सफाईकर्मी का 53 करोड़ का एरियर

जयपुर, 6 मई (Udaipur Kiran) । हेरिटेज निगम में अधिकारियों के पैमेंट को लेकर लापरवाही बरती जा रही है। इसके फलस्वरूप हेरिटेज निगम ने एक सरकारी सफाईकर्मी को एरियर के रूप में 53 करोड़ से ज्यादा की रकम भुगतान करने की तैयारी कर ली थी । इस बिल को पांच अधिकारियों ने स्वीकृति भी दे दी थी, जब यह बिल वित्त विभाग के पास पहुंचा। तब गलती पकड़ ली गई। वित्त विभाग ने फौरन बिल की फाइल वापस भेजी। साथ ही, कमिश्नर ने इस पूरे मामले के साथ ही पुराने रिकॉर्ड की भी जांच के आदेश दिए हैं।

नगर निगम हेरिटेज को सफाई कर्मचारियों को साल 2021 के फरवरी महीने का एरियर दिया जाना था। प्रत्येक कर्मचारी का एरियर करीब 12 हजार 812 रुपये बना था। नगर निगम के किशनपोल जोन में कार्यरत सफाई कर्मचारी ओमप्रकाश गुर्जर को 53 करोड़ 11 हजार 912 रुपये का एरियर स्वीकृत कर दिया। पांच स्तर पर जांच के बाद सरकार को भुगतान के लिए भी इसका बिल भेज दिया गया था। यहां भुगतान से पहले ही गलती पकड़ में आ गई। किशनपोल जोन में कार्यरत सफाई कर्मचारी ओमप्रकाश गुर्जर को नगर निगम की ओर से एरियर के तौर पर 53 करोड़ रुपए से ज्यादा का भुगतान देने का बिल पास किया गया था। बाद में इसे दुरुस्त किया गया। सबसे पहले नगर निगम के जोन स्तर पर सफाई कर्मचारी के भुगतान का कच्चा बिल कंप्यूटर ऑपरेटर बनाता है। इस बिल को नगर निगम की ओर से संचालित ओसवाल डाटा सेंटर भेजा जाता है। यहां डिजिटल सिग्नेचर अथॉरिटी एडिश्नल कमिश्नर (सुरेंद्र यादव) के कहने के बाद पक्का बिल तैयार किया जाता है। ओसवाल डाटा सेंटर की ओर से पक्का बिल बनने के बाद बाबू, अकाउंटेंट और डिप्टी कमिश्नर (दिलीप भंभानी) उसे चेक कर साइन करते हैं। ई-बिल नगर निगम के कैश सेक्शन में पहुंचता है। यहां कैशियर के वेरिफाई करने के बाद डिजिटल साइन अथॉरिटी (एडिशनल कमिश्नर) बिल चेक करते हैं। इसके बाद बिल नगर निगम की ट्रेजरी से पास जाता है। यहां बिल पास होने के बाद उसे फाइनेंस डिपार्टमेंट में भुगतान के लिए भेजा जाता है।

संयुक्त वाल्मीकि एवं सफाई श्रमिक संघ के निवर्तमान अध्यक्ष नंदकिशोर डंडोरिया ने कहा कि यह मानवीय भूल नहीं है। निगम स्तर पर ही पांच जगह इस पेमेंट की फाइल को चेक किया गया। कहीं पर भी इस गलती को नहीं पकड़ा गया। नगर निगम के अधिकारियों द्वारा इस तरह की गलतियों को पूर्व में भी किया गया है। इसकी अब तक जांच नहीं हुई है। इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। जो भी अधिकारी और कर्मचारी इसमें दोषी हैं, उनके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाना चाहिए। हो सकता है यह लोग 53 लाख रुपये का भुगतान लेना चाहते हों, लेकिन दो जीरो ज्यादा लगने की वजह से यह गलती पकड़ में आ गई।

टेक्निकल गलती में किया गया सुधार

नगर निगम के एडिशनल कमिश्नर सुरेंद्र यादव ने कहा कि जोन स्तर पर टाइपिंग की गलती हुई है। कर्मचारी की बेसिक 5300 की जगह 53 करोड़ टाइप हो गया था। इसे दुरुस्त कर लिया गया है। भविष्य में ऐसी गलती न हो इसको लेकर भी ठोस नीति बनाई जाएगी। वैसे भी यह गलती मेरे स्तर पर नहीं बल्कि, जोन स्तर पर हुई थी।

हेरिटेज नगर निगम कमिश्नर अरुण कुमार हसीजा ने कहा कि मुझे लगता है निगम स्तर पर ही जांच में इस गलती को पकड़ा जाना चाहिए था। ऐसा क्यों नहीं हुआ, इसकी जांच करवाई जाएगी।

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(Udaipur Kiran) / राजेश

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लापरवाही: हेरिटेज निगम ने बनाया सफाईकर्मी का 53 करोड़ का एरियर

हेरिटेज निगम ने बनाया सफाईकर्मी का 53 करोड़ का एरियर

जयपुर, 6 मई (Udaipur Kiran) । हेरिटेज निगम में अधिकारियों के पैमेंट को लेकर लापरवाही बरती जा रही है। इसके फलस्वरूप हेरिटेज निगम ने एक सरकारी सफाईकर्मी को एरियर के रूप में 53 करोड़ से ज्यादा की रकम भुगतान करने की तैयारी कर ली थी । इस बिल को पांच अधिकारियों ने स्वीकृति भी दे दी थी, जब यह बिल वित्त विभाग के पास पहुंचा। तब गलती पकड़ ली गई। वित्त विभाग ने फौरन बिल की फाइल वापस भेजी। साथ ही, कमिश्नर ने इस पूरे मामले के साथ ही पुराने रिकॉर्ड की भी जांच के आदेश दिए हैं।

नगर निगम हेरिटेज को सफाई कर्मचारियों को साल 2021 के फरवरी महीने का एरियर दिया जाना था। प्रत्येक कर्मचारी का एरियर करीब 12 हजार 812 रुपये बना था। नगर निगम के किशनपोल जोन में कार्यरत सफाई कर्मचारी ओमप्रकाश गुर्जर को 53 करोड़ 11 हजार 912 रुपये का एरियर स्वीकृत कर दिया। पांच स्तर पर जांच के बाद सरकार को भुगतान के लिए भी इसका बिल भेज दिया गया था। यहां भुगतान से पहले ही गलती पकड़ में आ गई। किशनपोल जोन में कार्यरत सफाई कर्मचारी ओमप्रकाश गुर्जर को नगर निगम की ओर से एरियर के तौर पर 53 करोड़ रुपए से ज्यादा का भुगतान देने का बिल पास किया गया था। बाद में इसे दुरुस्त किया गया। सबसे पहले नगर निगम के जोन स्तर पर सफाई कर्मचारी के भुगतान का कच्चा बिल कंप्यूटर ऑपरेटर बनाता है। इस बिल को नगर निगम की ओर से संचालित ओसवाल डाटा सेंटर भेजा जाता है। यहां डिजिटल सिग्नेचर अथॉरिटी एडिश्नल कमिश्नर (सुरेंद्र यादव) के कहने के बाद पक्का बिल तैयार किया जाता है। ओसवाल डाटा सेंटर की ओर से पक्का बिल बनने के बाद बाबू, अकाउंटेंट और डिप्टी कमिश्नर (दिलीप भंभानी) उसे चेक कर साइन करते हैं। ई-बिल नगर निगम के कैश सेक्शन में पहुंचता है। यहां कैशियर के वेरिफाई करने के बाद डिजिटल साइन अथॉरिटी (एडिशनल कमिश्नर) बिल चेक करते हैं। इसके बाद बिल नगर निगम की ट्रेजरी से पास जाता है। यहां बिल पास होने के बाद उसे फाइनेंस डिपार्टमेंट में भुगतान के लिए भेजा जाता है।

संयुक्त वाल्मीकि एवं सफाई श्रमिक संघ के निवर्तमान अध्यक्ष नंदकिशोर डंडोरिया ने कहा कि यह मानवीय भूल नहीं है। निगम स्तर पर ही पांच जगह इस पेमेंट की फाइल को चेक किया गया। कहीं पर भी इस गलती को नहीं पकड़ा गया। नगर निगम के अधिकारियों द्वारा इस तरह की गलतियों को पूर्व में भी किया गया है। इसकी अब तक जांच नहीं हुई है। इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। जो भी अधिकारी और कर्मचारी इसमें दोषी हैं, उनके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाना चाहिए। हो सकता है यह लोग 53 लाख रुपये का भुगतान लेना चाहते हों, लेकिन दो जीरो ज्यादा लगने की वजह से यह गलती पकड़ में आ गई।

टेक्निकल गलती में किया गया सुधार

नगर निगम के एडिशनल कमिश्नर सुरेंद्र यादव ने कहा कि जोन स्तर पर टाइपिंग की गलती हुई है। कर्मचारी की बेसिक 5300 की जगह 53 करोड़ टाइप हो गया था। इसे दुरुस्त कर लिया गया है। भविष्य में ऐसी गलती न हो इसको लेकर भी ठोस नीति बनाई जाएगी। वैसे भी यह गलती मेरे स्तर पर नहीं बल्कि, जोन स्तर पर हुई थी।

हेरिटेज नगर निगम कमिश्नर अरुण कुमार हसीजा ने कहा कि मुझे लगता है निगम स्तर पर ही जांच में इस गलती को पकड़ा जाना चाहिए था। ऐसा क्यों नहीं हुआ, इसकी जांच करवाई जाएगी।

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(Udaipur Kiran) / राजेश

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