
प्रयागराज,06 मई (Udaipur Kiran) । भाग दौड़ की जिन्दगी में सांसों की राह आसान बनाने के लिए अब पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन से मिली नई जिन्दगी को सुरक्षित बनाने का प्रयास होगा। यह जानकारी विश्व अस्थमा डे के मौके पर मंगलवार को वरिष्ठ श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. गौरव अग्रवाल ने दी।
उन्होंने बताया कि अब सांस लेना आसान बना सकते है। इसके साथ यह भी जानना आवश्यक है कि कैसे मदद कर रहा है प्लमोनरी रिहैब। फिर से जीने की चाह फेफड़े के लिए यह नया उपचार वरदान बन गया है। सांसों की जंग में एक नई उम्मीद पल्मोनरी रिहैब का असरदार उपचार किया जा रहा है। सांस की हर तकलीफ का जबाब प्ल्मोनरी रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम है। प्रयागराज के रोगियों के लिए बड़ी राहत देने के लिए होलिस्टिक चेस्ट केयर ने पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम काे शुरू किया है।
डॉ. गौरव अग्रवाल ने बताया कि विश्व की लगभग 10 प्रतिशत बीमारियॉं सांसोे की गभीर बीमारियां है। जैसे कि दमा, सीओपीडी, पोस्ट टीबी, आईएलडी इत्यादि है। विभिन्न उपचार के बावजूद इन रोगियों के लिए एक—एक सांस लेना भारी होता है। रोगी थक हार कर निराश होकर घर बैठ जाते हैं व समाज व परिवार से कटकर एक निर्वासित जीवन व्यतीत करते हैं। ऐसे रोगियों के लिए पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम की शुरूआत किया है। रोगियों को शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक रूप से मजबूत कर फिर से मुख्यधारा में लाना मुख्य लक्ष्य है।
कार्यक्रम की मुख्य विशेषताए हैं कि एक समय स्वाथ्य मूल्यांकन, व्यक्तिगत व्यायाम सत्र, सांसोे पर नियत्रण, मेडिटेशन व सांसोे के व्यायाम, मांसपेशियों की क्षमता, सहिष्णुता को विकसित करना होगा।
रोग से छुटकारा के लिए बचाव व परहेज बहुत आवश्यक
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि रोगियों को मनोवैज्ञानिक सहयोग बहुत जरूरी है। इससे तनाव, उलझन, अनिंद्रा, घबराहट कम करने के लिए काउंसलिंग व मोटिवेशनल सेशन चलाया जाय। मरीजों को स्वास्थ्य शिक्षा यानि जागरूकता बहुत आवश्यक है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मरीजों व उनके परिवार के लोगों को रोग प्रबन्धन, दवा, सेवन, वायु प्रदूषण बचाव एवं जीवन शैली में अधिक सुधार करना होगा। इसके अतिरिक्त टेली हेल्थ सेशन के माध्यम से मरीजों के न आ पाने की वजह से वे घर पर ही वर्चुअल प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी। डॉ. गौरव अग्रवाल ने बताया कि पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन के संबंध में जानकारी लेने के लिए सम्पर्क सूत्र 8948217169 से रोगी जानकारी ले सकते हैं।
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(Udaipur Kiran) / रामबहादुर पाल
