-गवर्नमेंट मॉडल संस्कृत प्राथमिक विद्यालय सुशांत लोक सी-2 का है मामला
गुरुग्राम, 5 मई (Udaipur Kiran) । यहां के एक सरकारी स्कूल में एक नाबालिग छात्र के साथ नस्लीय भेदभाव और हिंसा के गंभीर आरोपों पर हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लिया है। शिकायत संख्या 56/5/2025 में आयोग ने मामले को शैक्षणिक संस्थान में मानवीय संवेदनाओं की विफलता बताया है। जिला शिक्षा अधिकारी तथा पुलिस को जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि उनका नाबालिग बेटा गवर्नमेंट मॉडल संस्कृत प्राथमिक विद्यालय सुशांत लोक सी-2 सेक्टर-43 में पढ़ता है। स्कूल में उसके मौलिक और मानव अधिकारों का उल्लंघन किया गया। बच्चे को बार-बार नस्लीय उत्पीडऩ का शिकार बनाया गया, जिससे उसे शारीरिक और मानसिक आघात पहुंचा। यह उत्पीडऩ सहपाठियों द्वारा किया गया। इस बारे में संबंधित कक्षा अध्यापिका को बीस दिनों में कई बार सूचित किया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। शिकायतकर्ता का यह भी कहना है कि शिक्षिका द्वारा हस्तक्षेप न करने और अन्य छात्रों के भेदभावपूर्ण व्यवहार में कार्यवाही नहीं करने के कारण 19 दिसंबर 2024 को एक हिंसक घटना हुई, जिसमें बच्चे की बाईं आंख पर चोट लगी।
शिकायतकर्ता का कहना है कि स्कूल से संपर्क करने पर पता चला कि उस समय प्रधानाचार्य उपलब्ध नहीं थीं। प्रभारी प्रधानाचार्य पूनम ने शिकायत को नजरअंदाज कर दिया और प्रधानाचार्य के संपर्क विवरण देने से इनकार कर दिया। इसके पश्चात शिकायतकर्ता ने स्थानीय पुलिस से संपर्क किया। जहां पुलिस ने केवल औपचारिकता निभाते हुए स्कूल का दौरा किया, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि स्कूल स्टाफ की लापरवाही और शिक्षिका द्वारा नस्लीय उत्पीडऩ को नजरअंदाज करने से एक शत्रुतापूर्ण वातावरण बना, जिसके कारण बच्चे को चोट पहुंची।
आयोग के अध्यक्ष ने अपने आदेश में यह लिखा
हरियाणा मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ललित बत्रा ने अपने आदेश में लिखा है कि-यह सुविचारित मत है कि शिकायत में लगाए गए आरोप शिक्षा संस्थानों, विशेषकर राज्य संचालित संस्थानों से अपेक्षित देखभाल के कर्तव्य में गंभीर चूक को दर्शाते हैं। स्कूल प्रशासन और स्थानीय पुलिस दोनों की समय पर और प्रभावी कार्रवाई में विफलता, प्रथम दृष्टया संस्थागत लापरवाही और बच्चे के मौलिक एवं मानवाधिकारों के उल्लंघन का मामला बनाती है। ऐसा आचरण न केवल शैक्षणिक संस्थानों में बच्चों की सुरक्षा और भलाई के प्रति गंभीर चिंताएं उत्पन्न करता है, बल्कि यह उन संवैधानिक और वैधानिक सुरक्षा उपायों के विपरीत है जो बच्चों को हानि, भेदभाव और उपेक्षा से बचाने के लिए स्थापित किए गए हैं।
एक स्वतंत्र जांच समिति का गठन कर के आदेश
आयोग के प्रोटोकॉल, सूचना व जनसम्पर्क अधिकारी डॉ. पुनीत अरोड़ा ने बताया कि मामले की गंभीरता और बच्चे के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर संभावित दीर्घकालिक प्रभावों को ध्यान में रखते हुए हरियाणा मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ललित बत्रा ने इसे आवश्यक मानते हुए मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। आयोग ने जिला प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी गुरुग्राम को निर्देश दिया है कि वह एक स्वतंत्र जांच समिति का गठन कर अगली सुनवाई की तिथि से पूर्व एक विस्तृत तथ्यान्वेषण रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। स्थानीय पुलिस स्टेशन के एसएचओ को, पुलिस आयुक्त, गुरुग्राम के माध्यम से शिकायतकर्ता द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के संबंध में अब तक की गई कार्रवाई की स्थिति विवरण (स्टेटस रिपोर्ट) प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया गया है। साथ ही संबंधित शिक्षिका और प्रभारी प्रधानाचार्य को आरोपों के संबंध में अपना उत्तर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाता है। इस मामले में अगली सुनवाई की तिथि 30 जुलाई 2025 निर्धारित की गई है।
(Udaipur Kiran)
