
पालमपुर, 04 मई (Udaipur Kiran) । पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय के उस ऐतिहासिक फैसले का स्वागत किया है, जिसमें कहा गया है कि दवा कंपनियां डॉक्टरों पर अनावश्यक और महंगी ब्रांडेड दवाएं लिखने का दबाव बनाती हैं। शांता कुमार ने कहा कि यह निर्णय स्वास्थ्य क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करने वाला और आम जनता के हित में एक बड़ा कदम है।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि डॉक्टरों को केवल जेनरिक दवाएं लिखनी चाहिए, ताकि दवा कंपनियों द्वारा रिश्वत और कमीशन के लालच में महंगी दवाएं लिखने की प्रवृत्ति पर रोक लग सके।
शांता कुमार ने रविवार काे एक बयान में स्मरण कराया कि वर्ष 2013 में जब वे लोकसभा की एक स्थायी समिति के अध्यक्ष थे, तब इस विषय पर विस्तृत अध्ययन कर एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट सरकार को सौंपी गई थी। उस रिपोर्ट में सिफारिश की गई थी कि सरकार डॉक्टरों को निर्देश दे कि वे केवल जेनरिक दवाएं ही पर्ची पर लिखें। उन्होंने कहा कि जेनरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं की तुलना में बहुत सस्ती होती हैं और उनकी गुणवत्ता में कोई कमी नहीं होती।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि मैक्सावार नाम की कैंसर की एक ब्रांडेड दवा छह महीने के कोर्स के लिए 80,000 रुपये में मिलती थी, लेकिन वही दवा जब जेनरिक रूप में आई तो उसकी कीमत मात्र 8,000 रुपये रह गई।
शांता कुमार ने कहा कि भारत दुनिया में सबसे बड़ा जेनरिक दवा निर्माता और निर्यातक है, लेकिन दुर्भाग्यवश भारत के गरीब रोगियों को इन सस्ती दवाओं का लाभ नहीं मिल पाता क्योंकि कई डॉक्टर ज्यादा कमीशन के लालच में ब्रांडेड दवाएं ही लिखते हैं।
उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि जो सुझाव उन्होंने और उनकी समिति ने 12 वर्ष पहले दिए थे, अब वही बात सर्वोच्च न्यायालय ने कड़े शब्दों में दोहराई है। साथ ही उन्होंने स्थायी समिति के सभी सदस्यों को इसके लिए बधाई दी।
उन्होंने सरकार से मांग की कि एक स्पष्ट आदेश जारी कर यह सुनिश्चित किया जाए कि देश के डॉक्टर केवल जेनरिक दवाएं ही रोगियों को लिखें, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ और सस्ता बनाया जा सके।
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(Udaipur Kiran) शुक्ला
