
-3डी वीआर से देशभर के तीर्थों के होंगे सजीव दर्शन
हरिद्वार, 3 मई (Udaipur Kiran) । गंगा सप्तमी के अवसर पर उत्तरी हरिद्वार स्थित आध्यात्मिक संस्था पावन धाम आश्रम में तीर्थयात्रियों व स्थानीय निवासियों के लिए दुर्लभ दर्शन केंद्र की शुरूआत की गयी है। पूर्व गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद ने फीता काटकर दुर्लभ दर्शन केंद्र का शुभारंभ किया।
दुर्लभ दर्शन केंद्र में श्रद्धालु 3डी वीआर के माध्यम से देश के प्रमुख मंदिरों के सजीव दर्शन कर सकेंगे।
स्वामी चिन्मयानंद ने कहा कि वैज्ञानिकों की यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। विज्ञान ने सनातन धर्म के सभी प्रमुख तीर्थो के एक स्थान पर सजीव दर्शन करने की सुविधा श्रद्धालुओं को उपलब्ध करायी है। इसके लिए पावन धाम आश्रम संस्था के अध्यक्ष एवं एडवोकेट सुनील गर्ग व महामंत्री अंशुल श्रीकुंज जी बधाई और साुधवाद के पात्र हैं।
नगर विधायक मदन कौशिक ने कहा कि पावन धाम द्वारा महाकाल, अयोध्या श्रीराम मंदिर सहित तमाम मंदिरों के वैज्ञानिक तकनीक से सजीव दर्शन कराने की नई शुरूआत की गयी है, जिसके लिए संस्था बधाई की पात्र है।
संस्था के अध्यक्ष सुनील गर्ग एडवोकेट व महामंत्री अंशुल श्रीकुंज ने बताया कि दुर्लभ दर्शन केंद्र में श्रद्धालु अत्याधुनिक 3डी वीआर तकनीक के माध्यम से भक्त पूरे भारत के पवित्र स्थलों के दिव्य दर्शन कर सकते हैं। अंशुल श्रीकुंज ने बताया कि इस केंद्र में ज्योतिर्लिंग, महाकाल, काशी विश्वनाथ, शक्तिपीठ, वैष्णो देवी, अयोध्या राम मंदिर दर्शन, राम वन गमन पथ और जगन्नाथ रथ यात्रा जैसे प्रमुख तीर्थों के दर्शन का सजीव का अनुभव कराया जाएगा। वैष्णो देवी, अयोध्या, वाराणसी, उज्जैन और मैहर में दुर्लभ दर्शन केंद्र की सफलता के बाद पावन धाम में यह पहल शुरू की गई है। सुनील गर्ग व अंशुल श्रीकुंज ने बताया कि दुर्लभ दर्शन केंद्र धर्म के क्षेत्र में बहुत बड़ी क्रांति है। इसके माध्यम से श्रद्धालु भक्तों को मंदिर में भगवान की प्रतिमा के समक्ष और गृभ गृह में सजीव उपस्थिति का अहसास होगा। बुजुर्ग व्यक्तियों को भी इसका लाभ होगा।
इस अवसर पर सुनील गर्ग, अंशुल श्री कुंज, पूर्व पार्षद अनिरूद्ध भाटी, पार्षद आकाश भाटी, ललित नैय्यर, तरूण नैय्यर, प्रशांत मिश्रा, यश शर्मा, डा.भारत अग्रवाल, रविन्द्र सूद, सुरेंद्र गोयल, योगेश गर्ग, मनविंदर सिंह सग्गू, कृष्ण मुरारी गुप्ता सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
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(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला
