
चित्तौड़गढ़, 3 मई (Udaipur Kiran) । जिला मुख्यालय से करीब आठ किलोमीटर दूर शंभूपुरा गांव में रेलवे ट्रेक के निकट मगरमच्छ पहुंचने से हड़कंप मच गया। क्षेत्रवासियों की सूचना पर वन्य जीव प्रेमी मौके पर पहुंचे और मगरमच्छ को सुरक्षित को रेस्क्यू किया। बाद में इसे वन विभाग के अधिकारियों की निगरानी में प्राकृतिक आवास पर छोड़ा है।
जानकारी में सामने आया कि चित्तौड़गढ़ के शंभूपुरा कस्बे के बाहरी इलाके से 5 फीट लंबे और लगभग 30 किलोग्राम वजन वाले मगरमच्छ को बचाया गया। तीन से चार साल के इस मगरमच्छ को स्थानीय लोगों ने रेलवे ट्रैक के पास देखा, जो सुबह सैर पर निकले निकले थे। मगरमच्छ आबादी के बिल्कुल नजदीक तो था ही साथ ही चित्तौड़गढ़-निंबाहेड़ा रेलवे ट्रेक से केवल 25 मीटर दूर था। ऐसे में रेलवे ट्रेक पर आने पर मगरमच्छ के जीवन को भी खतरा था।प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि मगरमच्छ को देख कर स्थानीय निवासियों में हड़कंप मच गया। इनमें से कई लोग मगरमच्छ को देख कर डर के मारे भाग गए। स्थिति की गंभीरता को समझते हुए, चिंतित ग्रामीणों के एक समूह ने तुरंत चित्तौड़गढ़ निवासी मनीष तिवारी से संपर्क किया, जो एक वन्य जीव बचावकर्ता हैं, जो टीम के साथ ऐसी नाजुक स्थितियों से निपटने में अपनी विशेषज्ञता के लिए जाने जाते हैं। बचाव अभियान में मनीष तिवारी के साथ मुबारिक खान, राजस्थान ग्रामीण बैंक के कर्मचारी पीयूष कांबले, राहुल वानखेड़े, कुलदीप शर्मा एवं समर्पित टीम को शामिल किया गया। यह टीम तुरंत शंभूपुरा में रेलवे ट्रेक के पास में पहुंची। यहां टीम ने स्थिति का आंकलन किया और मगरमच्छ को सुरक्षित तरीके से पकड़ने की योजना बनाई। इससे वन्य जीव या लोगों को कोई नुकसान न पहुंचे। बचाव दल ने धैर्य और सटीकता के साथ मगरमच्छ को सुरक्षित रेस्क्यू करने में कामयाब हासिल की। मगरमच्छ के सफल रेस्क्यू के बाद टीम ने इसको बस्सी वन्य जीव अभयारण्य में पहुंचाया। यहां उसे वन विभाग की देख-रेख में उसके प्राकृतिक आवास में वापस छोड़ दिया गया।
मनीष तिवारी ने सफल ऑपरेशन पर राहत व्यक्त की एवं वन्य जीव संरक्षण के महत्व, समाज द्वारा वन्य जीवों को समझने और उनका सम्मान करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि वन्य जीव और इंसान दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। वन्य जीवों के बारे में जानकारी होने से भविष्य में दोनों की मुठभेड़ को रोकने में मदद कर मिलती है।शंभूपुरा के ग्रामीणों ने रेस्क्यू दल की त्वरित कार्रवाई और पेशेवर रवैये के लिए उनका आभार व्यक्त किया। इस मौके पर रेस्क्यू टीम के अलावा सूरज सेन, चिराग उपाध्याय, दीपक उपाध्याय, विकास सुखवाल आदि ग्रामीण मौजूद थे। बताया गया कि कस्बे से कुछ दूरी पर गंभीरी नदी बह रही है। वहीं जहां मगरमच्छ था वहां एक सहयोगी नाला गुजरता है। ऐसे में गंभीरी नदी से यह मगरमच्छ नाले में होते हुवे रेलवे ट्रेक के पास तक पहुंच गया।
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(Udaipur Kiran) / अखिल
