
प्रयागराज, 02 मई (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद विश्वविद्यालय को शोध और नवाचार के क्षेत्र में एक और उपलब्धि प्राप्ति हुई है। भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा विश्वेश्वरैया पीएचडी योजना-द्वितीय चरण के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी में उच्चकोटि के गुणवत्ता शोध के लिए पूरे देश से बीते जनवरी में आवेदन मांगे थे। जिसके अंतर्गत इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्युनिकेशन विभाग के डॉ नीलेश आनंद श्रीवास्तव, असिस्टेंट प्रोफेसर को विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव द्वारा इसके लिए नोडल ऑफिसर नामित किया गया था।
उल्लेखनीय है, विश्वेश्वरैया पीएचडी योजना के तहत आवेदन के परीक्षणोपरांत, भारत सरकार के डिजिटल इंडिया कॉर्पोरेशन, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने पहली बार इस योजना अंतर्गत इलाहाबाद विश्वविद्यालय इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी में शोध को बढ़ावा देने के लिए डॉ नीलेश द्वारा तैयार प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए एक 1,08,99,400 रुपये की राशि का अनुदान देने का आदेश दिया है। मंत्रालय ने छात्रों की फेलोशिप, एचआरए, लैब सेटअप, अंतरराष्ट्रीय यात्रा और संस्थान के ओवरहेड के खर्चों को कवर करने के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय को इस बजट परिव्यय की मंजूरी दी है।
विश्वविद्यालय के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी के मुख्य क्षेत्रों में अत्याधुनिक अनुसंधान में योगदान करने का एक सुनहरा अवसर है। इसके अंतर्गत विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्युनिकेशन विभाग में, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण, सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम सेवाएँ, वीएलएसआई, आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस, क्लाउड कंप्यूटिंग इत्यादि अत्याधुनिक शोध कार्यों को बढ़ावा दिया जायेगा।
महत्वपूर्ण यह है कि, इसके अंतर्गत इलाहाबाद विश्वविद्यालय को पीएचडी की तीन सीटें प्राप्त हुई हैं। इसके अंतर्गत पहले दो साल शोधार्थी को 38,750 रुपये प्रतिमाह और अगले तीन साल के लिए 43,750 रुपये प्रतिमाह की फ़ेलोशिप दी जाएगी। इसके साथ-साथ फेलोशिप राशि का 16 प्रतिशत तक किराया प्रतिपूर्ति भी इस योजना के तहत उपलब्ध है। पीएचडी अवधि के दौरान अनुसंधान से संबंधित खर्चों के लिए प्रतिवर्ष ₹1,20,000 भी नियमानुसार दिया जायेगा।
अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लेने के लिए प्रत्येक उम्मीदवार को ₹1.5 लाख तक की वित्तीय सहायता। इसके अतिरिक्त, इस योजना के तहत तीसरे वर्ष से सभी नामांकित पूर्णकालिक शोधार्थियों को 6 महीने के लिए ‘विदेश में प्रयोगशालाओं का दौरा’ करने का मौका दिया जायेगा। विदेश यात्रा के दौरान, 6 महीने के लिए शोधार्थियों की मासिक फेलोशिप 1.50 लाख रुपये होगी। एवं इसके अलावा, 1.50 लाख रुपये तक की यात्रा-वीज़ा भी प्रदान की जाएगी।
इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर नोडल अफसर डॉ नीलेश आनंद ने बताया कि विश्वविद्यालय के इतिहास में प्रथम महिला कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव के प्रबुद्ध एवं प्रेरक मार्गदर्शन में यह संभव हो पाया। इस मौके पर कुलपति ने अपनी शुभकामनाएं देते हुए पूर्ण समर्पण भाव के साथ कार्य करने को कहा। डॉ नीलेश ने बताया कि, इस उपलब्धि पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर आशीष खरे का संयोजन भी महत्वपूर्ण कारक रहा है। प्रस्तावित क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शोध के साथ समाज के लिए उपयोगी नवाचारों की खोज की जाएगी और प्रधानमंत्री के 2047 तक विकसित भार के लक्ष्य में अपना सर्वोत्तम देने के लिए कुलपति के नेतृत्व में विश्वविद्यालय अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करेगा। इस अवसर पर कुलपति के साथ सम्पूर्ण विश्वविद्यालय परिवार ने डॉ नीलेश आनंद सहित सम्पूर्ण टीम को बधाई दी।
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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र
