–जिले के 2962 स्कूलों में सत्र लगा कर छूटे बच्चों को लगेंगे दोनों टीके
–55 हजार लक्ष्य के सापेक्ष अब तक 41 हजार बच्चों को लग चुकी वैक्सीन
गोरखपुर, 02 मई (Udaipur Kiran) । स्कूली बच्चों की बेहतर पढ़ाई सुनिश्चित कराने के साथ ही योगी सरकार उनके सेहत के प्रति भी बेहद संवेदनशील है। स्कूली बच्चों को कृमि (पेट के कीड़े) से मुक्ति दिलाने के लिए दवा खिलाने के अभियान बाद अब सरकार ने स्कूली बच्चों-किशोरों को डिप्थीरिया (गलघोंटू) और टिटनेस जैसी घातक बीमारियों से बचाने के लिए विशेष टीकाकरण अभियान प्रारम्भ किया है।
गोरखपुर में सभी तरह के विद्यालयों (शासकीय, शासकीय सहायता प्राप्त और निजी) में यह अभियान 10 मई तक चलेगा और इसके तहत 2962 स्कूलों 55 हजार से अधिक स्कूली बच्चों-किशोरों को टीकाकृत किया जाएगा। इस लक्ष्य के सापेक्ष अब तक करीब 41 हजार से अधिक बच्चों-किशोरों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है।
डिप्थीरिया और टिटनेस से स्कूली बच्चों को बचाने के लिए विशेष टीकाकरण अभियान को लेकर स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग ने सभी स्कूलों को दिशा निर्देश जारी किए हैं। इसके अंतर्गत कक्षा 5 से 10 तक के (10 से 16 वर्ष) स्कूली बच्चों-किशोरों को टीका लगाया जाना है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. राजेश झा के मुताबिक टीकाकरण का यह अभियान 24 अप्रैल से शुरू है और 10 मई तक इसे पूर्ण किया जाना है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने स्कूलों में टीमें लगा रखी हैं। सीएमओ ने बताया कि कक्षा पांच में पढ़ने वाले दस वर्ष के बच्चों को टीडी दस और कक्षा दस में पढ़ने वाले सोलह वर्ष तक के किशोर-किशोरियों को टीडी सोलह वैक्सीन लगाई जा रही है। टीडी वैक्सीन उन्हें डिप्थीरिया और टिटनेस जैसी जानलेवा बीमारियों के प्रति प्रतिरक्षित करेगा।
अभियान के दौरान दस वर्ष तक के कक्षा पांच के 30213 बच्चों और सोलह वर्ष के कक्षा दस के 25549 किशोर-किशोरियों को उनके स्कूल में वैक्सीन लगाया जाना लक्षित है। अब तक दस वर्ष के 25840 बच्चों को तथा सोलह वर्ष के 15838 किशोर-किशोरियों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। सीएमओ के अनुसार वैक्सीन लगने के बाद कुछ बच्चों में बुखार और इंजेक्शन वाली जगह पर लालिमा या सूजन की दिक्कत हो सकती है । यह सामान्य प्रतिक्रिया है। इससे परेशान की आवश्यकता नहीं है। इससे बचाव के उपाय बताने के साथ-साथ टीकाकरण अभियान में बुखार की दवा भी दी जा रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार डिप्थीरिया (गलघोंटू) संक्रामक रोग है जो संक्रमित मरीज के सम्पर्क में आने के दो से पांच दिन में फैलता है। गले में खराश और बुखार के लक्षणों के साथ यह धीरे-धीरे गंभीर रूप ले लेता है। इसके कारण सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है और ह्रदय की मांसपेशियों में सूजन और नुकसान, गुर्दे में समस्या और प्लेटलेट कम होने से खून निकलने लगता है। ह्रदय गति असामान्य हो सकती है और पक्षाघात की भी आशंका रहती है। मरीज के खांसने और छींकने के दौरान निकलने वाले श्वसन बूंदों से यह फैलता है। नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत मिलने वाली इसकी तीन खुराकों के साथ साथ बचपन और किशोरावस्था के दौरान तीन बूस्टर खुराक भी आवश्यक है। इसी प्रकार टिटनेस भी एक तीव्र संक्रामक रोग है, जो नवजात शिशुओं और गर्भवती के लिए ज्यादा गंभीर है। क्लोस्ट्रीडियम टेटानी नामक जीवाणु के बीजाणुओं के साथ इसका संक्रमण किसी कट या घाव के कारण होता है। जो लोग टिटनेस से ठीक हो जाते हैं उनके दोबारा भी संक्रमित होने की आशंका रहती है और इसीलिए इसका टीकाकरण आवश्यक है।
–अभिभावकों को पत्र भेज रहे स्कूल
डिप्थीरिया और टिटनेस के विशेष टीकाकरण अभियान को लेकर कई स्कूलों ने अभिभवकों को पत्र भी भेजा है। इसमें अभिभावकों से टीकाकरण के लिए सहमति य असहमति व्यक्त करने की अपेक्षा की है। पत्र पर प्रतिक्रिया न मिलने की दशा में स्कूल प्रबंधन यह मान लेगा की अभिभावक अपने पाल्य का वैक्सिनेशन कराने के लिए सहमत हैं।
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(Udaipur Kiran) / प्रिंस पाण्डेय
