Uttrakhand

दैवीय शक्तियों के जागृत होते ही दुरात्माओं का हो जाता है अंत : विज्ञानानंद सरस्वती

सम्बोधित करते स्वामी विज्ञानानंद

हरिद्वार, 2 मई (Udaipur Kiran) । श्री गीता विज्ञान आश्रम के परमाध्यक्ष शतायु संत, महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि असुरों के उपद्रव बढ़ते ही दैवीय शक्तियां जागृत हो जाती हैं और दुरात्माओं का अंत हो जाता है। युग और समय परिवर्तनशील होते हैं, जो अब शीघ्र बदलने वाले हैं। वे आज विष्णु गार्डन स्थित श्री गीता विज्ञान आश्रम में परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित तीन दिवसीय श्री गायत्री महायज्ञ की पूर्णाहुति के अवसर पर श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे।

बदलते वैश्विक परिवेश पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि चींटी की जब मृत्यु निकट होती है तो उसके पर निकल आते हैं। यही हाल छोटे-छोटे देशों का है, जो बड़े देशों की भावनाएं भड़काकर रावण की तरह अपना मोक्ष चाहते हैं। गायत्री महायज्ञ को विश्व कल्याण का सूचक बताते हुए उन्होंने कहा कि भारत सभी का कल्याण चाहता है और सर्वे भवंतु सुखिनः की कामना के साथ अक्षम्य अपराधों को भी ज्यादा गंभीरता से नहीं लेता है, लेकिन यह सत्य है कि विजय सदैव सच्चाई की ही होती है।

प्रकृति में विद्यमान आत्माओं का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि सृष्टि के रचनाकाल से ही देव आत्मा, धर्मात्मा और असुरात्मा होते आए हैं। सतयुग, त्रेता और द्वापर में स्वयं भगवान ने अवतरित होकर असुर आत्माओं का संहार किया और कलयुग के राक्षसों का अंत करने के लिए अब धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने वालों को ही भगवान ने सक्षम बना दिया है।

अनादिकाल से राक्षस स्वयं को देवात्माओं से बलशाली समझते आए हैं, लेकिन विजय सदैव धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने वालों की ही हुई है। दुरात्माओं के विनाश का समय निकट बताते हुए उन्होंने कहा कि देवभूमि भारत से राक्षसी प्रवृत्तियां शीघ्र ही समाप्त होंगी और इस कार्य में अब अधिक विलंब नहीं है। 12वीं शताब्दी के पूर्व के भारत (आर्यावर्त) का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि भारत को आर्यावर्त कहा जाता था, जिसका स्वरूप विशाल था और अब समय आ गया है कि भारत पुनः अपने प्राचीन रूप में ही लौटेगा। इस अवसर पर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश के श्रद्धालुओं के साथ ही बड़ी संख्या में स्थानीय श्रद्धालु भी उपस्थित थे।

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(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

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