

रायपुर, 1 मई (Udaipur Kiran) । केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने गुरुवार को रायपुर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की “साहस और संकल्प शक्ति” की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने पहले की सरकारों द्वारा किए गए ऐतिहासिक अन्यायों को सुधारने का कार्य किया है। उन्होंने अनुच्छेद 370 की समाप्ति, ट्रिपल तलाक का उन्मूलन और अब वक्फ से संबंधित कानूनों में सुधार को इसके उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया।
रायपुर के सभागार में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने एक ऐसी राजनीतिक संस्कृति की शुरुआत की है, जो धर्म से ऊपर उठकर समाज के सभी वर्गों के लिए न्याय को प्राथमिकता देती है। कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला बोलते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने मुस्लिम समुदाय का उपयोग केवल वोट बैंक के रूप में किया, समाज में विभाजनकारी सोच को बढ़ावा दिया और तुष्टीकरण की राजनीति को संस्थागत रूप दिया। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने इसके विपरीत मुस्लिम समुदाय को गरिमा, अधिकार और विकास देकर उनके साथ हुए अन्याय को दूर करने का प्रयास किया है।
वक्फ संपत्तियों और उनसे जुड़ी विवादास्पद परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के दौरान वक्फ की जमीनों की बड़े पैमाने पर हेराफेरी की गई, जिसे नजरअंदाज किया गया। उन्होंने कहा, “वक्फ की जमीन गरीबों के कल्याण के लिए थी, लेकिन आज उस पर फाइव-स्टार होटल और मॉल खड़े हैं। इसका लाभ किसे मिला? आम मुस्लिम को तो नहीं। पूर्व सरकार ने धार्मिक प्रावधानों की आड़ में ज़मीन हड़पने को कानूनी जामा पहनाया।”
उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार द्वारा संशोधित वक्फ कानून पारदर्शिता, जवाबदेही और न्याय को सुनिश्चित करने के लिए लाए गए हैं। “यह कानून यह सुनिश्चित करता है कि अब वक्फ के तहत दावा की गई किसी भी भूमि को सार्वजनिक रूप से अधिसूचित किया जाएगा और रजिस्ट्रेशन से पहले यदि कोई आपत्ति हो, तो उसे सुना जाएगा। जब तक किसी के पास छिपाने को कुछ न हो, तब तक इससे किसी को क्या समस्या हो सकती है?”
सुधारों पर सवाल उठाने वालों की आलोचना करते हुए डॉ. सिंह ने कहा, “यह वही मानसिकता है जिसने ट्रिपल तलाक कानून का विरोध किया था। जब मुस्लिम महिलाओं को उनका अधिकार दिया जा रहा है, तो उसे लेकर आपत्ति क्यों? यह सरकार सभी समुदायों की महिलाओं को समान अधिकार दे रही है- तो मुस्लिम महिलाओं को क्यों नहीं?”
डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि वक्फ एक धर्मार्थ दान की अवधारणा थी, जिसका उद्देश्य वंचितों की सेवा करना था, और इससे भटकना इसके संस्थापकों की भावना के साथ विश्वासघात है। “आप गरीबों के लिए निर्धारित जमीन से मुनाफा कमाकर खुद को धार्मिक नहीं कह सकते,” उन्होंने कहा।
प्रस्तावित वक्फ बोर्ड में संरचनात्मक बदलावों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अब इसमें महिलाओं, कानूनी विशेषज्ञों और सांसदों का प्रतिनिधित्व अनिवार्य कर दिया गया है। “यह लोकतंत्र की सच्ची भावना है। अगर फिर भी किसी को इससे आपत्ति है, तो शायद समस्या उसके भीतर ही है।”
अंत में उन्होंने कहा कि “निहित स्वार्थों” द्वारा फैलाए जा रहे “झूठे नैरेटिव” का मुकाबला करने के लिए जन-जागरूकता आवश्यक है। उन्होंने कहा, “लोकतंत्र में यदि हम गलत सूचनाओं के सामने चुप रहते हैं, तो वह भी एक प्रकार की सहभागिता होती है। सच्चाई के प्रति हमारी जिम्मेदारी है कि हम उसे बोलें।”
(Udaipur Kiran) / केशव केदारनाथ शर्मा
