
जम्मू, 1 मई (Udaipur Kiran) । प्रख्यात कवि, स्वतंत्रता सेनानी और सांस्कृतिक प्रतीक सर्वानंद कौल प्रेमी की 35वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में, जम्मू और कश्मीर कला, संस्कृति और भाषा अकादमी (जेकेएएसीएल) ने केएल सहगल हॉल, जम्मू में साहित्यिक समागम का आयोजन किया। इस भव्य समारोह में प्रेमी जी की बहुमुखी विरासत को श्रद्धांजलि दी गई, जिनका साहित्य, सामाजिक सद्भाव और प्रतिरोध में योगदान जम्मू और कश्मीर के सांस्कृतिक ताने-बाने में गहराई से समाया हुआ है। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव अटल डुल्लू, संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव बृज मोहन शर्मा और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर रतन लाल हंगलू उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत सर्वानंद कौल प्रेमी की स्मृति में गणमान्य व्यक्तियों द्वारा पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई।
मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने अपने मुख्य भाषण में प्रेमी जी को सत्य, एकता और मानवतावाद का प्रतीक बताया। उन्होंने वर्षों से उन्हें मिले सम्मान को याद किया – जिसमें शारदा पुरस्कार (2006), प्रथम अलग सम्मान (2016), साहित्य अकादमी मोनोग्राफ (2008) और जेकेएएसीएल (2018) द्वारा विशेष सम्मान शामिल हैं। डॉ. सोहन लाल को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा मृत्यु अंत नहीं बल्कि परिवर्तन है – जो सत्य है वह हमेशा के लिए जीवित रहता है।
प्रमुख सचिव बृज मोहन शर्मा ने प्रेमी जी के आदर्शों की समकालीन प्रासंगिकता पर जोर दिया और उनके द्वारा समर्थित सांस्कृतिक और साहित्यिक मूल्यों को संरक्षित और बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रो. रतन लाल हंगलू ने प्रेमी जी की समावेशी दृष्टि और बौद्धिक अखंडता की प्रशंसा की और विद्वानों से साहित्य, सक्रियता और पहचान के बीच तालमेल को समझने के लिए उनके कार्यों पर फिर से विचार करने का आग्रह किया। जेकेएएसीएल की सचिव हरविंदर कौर ने गणमान्य व्यक्तियों और श्रोताओं का स्वागत किया और प्रेमी जी के प्रेरणादायक जीवन तथा क्षेत्र की साहित्यिक विरासत पर उनके स्थायी प्रभाव पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम की एक प्रमुख विशेषता साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता डॉ. सोहन लाल कौल द्वारा एक विद्वत्तापूर्ण शोध पत्र प्रस्तुत करना था, जिसमें प्रेमी जी की साहित्यिक यात्रा के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। अवतार मोटा द्वारा एक अन्य शोध पत्र प्रस्तुत किया गया, जिसमें प्रेमी जी की समाज सुधारक, कवि और दूरदर्शी के रूप में भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस बैठक में एक मुशायरा सत्र भी शामिल था, जिसमें अशोक गौहर, डॉ. रमेश निराशा, सतीश कौल, संतोष नादम, बीके संन्यासी, कुसुम धर, रजनी बहार धर और महाराज कृष्ण भट्ट जैसे प्रसिद्ध कवियों ने सर्वानंद कौल प्रेमी को श्रद्धांजलि देते हुए मार्मिक कविताओं के माध्यम से उनकी आत्मा को जगाया।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा
