

-वर्ष 2024-25 में लगातार दूसरे वर्ष 31.47 करोड़ की रिकॉर्ड बिक्री
-राज्य के 8 हजार से अधिक कारीगरों ने कमाए 20.89 करोड़ रुपए
अहमदाबाद, 1 मई (Udaipur Kiran) । गुजरात सरकार अनेक परंपरागत सांस्कृतिक विरासतों का संरक्षण सुनिश्चित कर रही है। ऐसी ही एक विरासत है- गुजरात की भव्य और विविधतापूर्ण हथकरघा और हस्तकला की परंपरागत विरासत जो लगातार फल-फूल रही है।
गुजरात सरकार की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक गरवी-गुर्जरी की रिकॉर्ड बिक्री पर नजर डालें, तो वर्ष 2023-24 में पिछले 50 वर्षों में सर्वाधिक यानी 25 करोड़ रुपए से अधिक के उत्पादों की बिक्री हुई थी। वहीं, इस वर्ष 2024-25 में तो गरवी गुर्जरी ने गत वर्ष के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए लगभग 31.70 करोड़ रुपए की बिक्री का एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है।
उल्लेखनीय है कि राज्य के लगभग 8000 से अधिक कारीगर निगम के साथ जुड़े हुए हैं। निगम ने इन कारीगरों के 20.89 करोड़ रुपए के उत्पादों की खरीदी की थी। निगम ने अपने राज्य और राज्य के बाहर स्थित बिक्री केंद्रों के माध्यम से कारीगरों के 14.46 करोड़ रुपए के उत्पादों की बिक्री की है। इतना ही नहीं, निगम ने कारीगरों को ओपन मार्केट सुलभ कराने के लिए राज्य और राज्य के बाहर विभिन्न स्थानों पर हर महीने मेलों और प्रदर्शनियों का प्रभावी आयोजन कर 17.24 करोड़ रुपए से अधिक के उत्पादों की बिक्री का लक्ष्य हासिल किया है।
इस उपलब्धि के बारे में निगम के प्रबंध निदेशक डॉ. प्रशांत जिलोवा ने कहा कि, “हमें इस महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल करने पर बहुत अधिक गर्व है। यह हमारी टीम के समर्पण और कड़ी मेहनत, सरकार की निरंतर सहायता और हमारी कारीगरों की बेजोड़ कारीगरी का प्रमाण है।”
राज्य की हस्तकला और हथकरघा को पहचान को देश और दुनिया में स्थापित करने, उसका अस्तित्व बनाए रखने और उसके विकास के मुख्य उद्देश्य के साथ कार्यरत गुजरात राज्य हथकरघा और हस्तकला विकास निगम (जीएसएचएचडीसी) गत 52 वर्षों से गुजरात की इस परंपरागत विरासत को लगातार सींच रहा है। जीएसएचएचडीसी के ‘गरवी-गुर्जरी’ एम्पोरियम के जरिए राज्य में ग्रामीण स्तर के परंपरागत कला-कारीगरी के व्यवसाय तेजी से प्रगति कर रहे हैं। ‘गरवी-गुर्जरी’ हथकरघा और हस्तकला की श्रेष्ठ कृतियों का सृजन करने वाले सुदूरवर्ती गांवों के हजारों कारीगरों के कलात्मक उत्पादों को लोगों तक पहुंचाता है और उनके उत्पादों की बिक्री में बढ़ोतरी करने का लगातार प्रयास करता है।
विरासत के संरक्षण में राज्य सरकार का पूर्ण सहयोग
राज्य की हस्तकला और हथकरघा को और अधिक बढ़ावा देने के लिए निगम ने भुज स्थित स्मृति वन, गांधीनगर स्थित दांडी कुटीर, नडाबेट, लींबड़ी स्थित शाळघर चोरणिया और साळंगपुर में गरवी गुर्जरी के नए शोरूम खोले हैं। इसके साथ ही, गरवी गुर्जरी ने इस वर्ष विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शनियों का आयोजन कर देशभर के खरीदारों को उत्कृष्ट अनुभव प्रदान किया है। इस वर्ष गुजरात के अलावा मुंबई, पुणे, दिल्ली, कोलकाता, लखनऊ, अमृतसर, फरीदाबाद (हरियाणा), मैसूर और चंडीगढ़ जैसे महत्वपूर्ण शहरों में सबसे अधिक प्रदर्शनियां लगाई गईं।
उल्लेखनीय है कि कारीगरों के सशक्तिकरण और उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ाने में कौशल विकास के महत्व को पहचानते हुए, गरवी गुर्जरी ने डिजाइन प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईएफटी-निफ्ट) के साथ एमओयू किया है। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान (एनआईडी) द्वारा कौशल प्रशिक्षण वर्कशॉप का आयोजन और निफ्ट द्वारा प्रशिक्षित मास्टर कारीगरों ने प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार किया है।
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(Udaipur Kiran) / बिनोद पाण्डेय
