




अनूपपुर, 30 अप्रैल (Udaipur Kiran) । ऋषि संस्कृति के प्रखर प्रकाश पुंज भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम का प्राकट्योत्सव अक्षय तृतीया का पावन पर्व श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। बुधवार को विप्र समाज द्वारा भगवान श्रीपरशुराम का जन्मोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमे वैदिक मंत्रो द्वारा पूरे रीती रिवाज से अपरान्ह वैदिक पूजन अर्चन के बाद सुन्दर काण्ड का सस्वर पाठ एवं सायं से प्रसाद (भण्डारा) वितरण का कार्यक्रम आयोजित किया गया है। वहीं आचार्यो द्वारा विधि विधान से 51 बटुकों का उपनयन संस्कार सम्पन्न करवाया। राम जानकी मंदिर अनूपपुर में धारकुंडी आश्रम के मंदिर परिसर में लवलीन महाराज अमरकंटक ने दादा परशुराम के जीवन के आदर्शों पर प्रकाश डाला। इस दौरान शोभायात्रा भी निकाली गई।
ब्रह्म समाज द्वारा निकाली गई भगवान परशुराम की शोभायात्रा नगर के कई स्थांनों में स्वागत से किया गया। ब्रह्म समाज ने कहा कि ब्रह्माण शरीर का मस्तिष्क माना जाता है जिस पर जवाबदारी है कि सभी समाज और धर्म को लेकर साथ चलें। राजेन्द्रग्राम में ब्राह्मण समाज ने भगवान श्री परशुराम की पूजा अर्चना कर शोभायात्रा निकाली गई। सुबह से ही लोगों ने पूजा अर्चना की तथा एक दूसरे को शुभकामनाएं दी। वहीं सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस बल तैनात किया गया था। कोतमा में भगवान परशुराम प्राकट्योत्सव पर विप्र बंधुओं ने ठाकुर बाबा प्रांगण में भगवान परशुराम का पूजन उपरांत कन्या भोज का आयोजन किया गया।
रामजानकी मंदिर में स्वामी लवलीन महाराज (धार कुंडी आश्रम) ने भगवान परशुराम के जीवन की गाथा को सरल और गहन भाषा में प्रस्तुत करते हुए कहा कि भगवान परशुराम केवल परशुधारी योद्धा ही नहीं, बल्कि धर्म, संयम और न्याय के प्रतीक हैं। उनका जीवन हमें सिखाता है कि जब अधर्म सिर उठाए, तो सज्जनों को भी वीर बनना पड़ता है। इस दौरान संत समाज के सचिव दांडी महाराज (हनुमत आश्रम, खामिडोल) एवं राजेश जी महाराज (अमरकंटक) की उपस्थिति ने रहे।
समाज को कुरीतियों से मुक्त करने का संकल्प
अनूपपुर में 51 बटुकों के सामूहिक उपनयन संस्कार के दौरान आचार्यों ने बटुकों और ब्राम्हण समाज को नशामुक्त रहने,कुरीतियों और अपव्यय से बचने, सामूहिक विवाह, दिन में विवाह, सामूहिक उपनयन संस्कार, दहेज मुक्त विवाह, नशा मुक्त समाज निर्माण जैसे सुविचारों का संकल्प दिलाया गया।
नर्मदा मंदिर में मनाया गया परशुराम प्रगटोत्सव
मां नर्मदा जी की उद्गम स्थली / पवित्र नगरी अमरकंटक में वैशाख शुक्ल पक्ष अक्षय तृतीया को भगवान परशुराम का प्रगटोत्सव धूमधाम के साथ पूजा अर्चन कर मनाया गया। साथ ही ब्राह्मणों द्वारा भगवान परशुराम की शोभायात्रा निकाल कर नगर भ्रमण कर वापस मुख्य मार्ग होते हुए मंदिर पहुंच समाप्त किया गया।
डॉ रामगोपाल सोनी (पूर्व एपीसीसीएफ ) भगवान परसुराम की जन्म स्थली के बारे में कहते है कि भृगु वंश के परम प्रतापी शूरवीर भगवान परसुराम जो विष्णु भगवान के 6 वे अवतार थे । पहले उनका नाम राम था । शिव जी के द्वारा फरसा दिए जाने से परसु राम नाम प्रशिद्ध हुआ। भगवान परसुराम का जन्म महर्षि जमदग्नि और उनकी क्षत्रिय पत्नी रेणुका जो इछवाकु वंशी थी के 6 वे पुत्र के रूप में वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को हुआ था। लेकिन वो स्थान तपस्वी जमदग्नि का पवित्र आश्रम था अमरकंटक से 8 किलोमीटर दूर दमगढ़ बस्ती में । पहले इस स्थल का नाम नर्मदापुर था । स्कन्द पुराण रेवा खंड के अनुसार कपिलधारा के उत्तर में वैदूर्य पर्वत है जिसे वर्तमान में आज दमगढ़ कहते है। इसको मांधाता पर्वत भी कहते है क्योंकि मान्धाता ने यहां तपस्या की थी और शिव जी के वरदान से वैदूर्य पर्वत का नाम पड़ा मान्धाता पर्वत । जो आज मंडला है वह पूर्व में महिष्मतीपुर कहलाता था । ब्रह्मांड पुराण के अनुसार नर्मदा नदी इस शहर को तीन ओर से घेरे हुए थी। सहस्तार्जुन जिन्होंने परम प्रतापी रावण को बंदी बना लिया था उन्ही की नगरी थी । महिष्मतीपुर से अमरकंटक शिकार खेलने सहस्त्रबाहु गए थे और वो जमदग्नि आश्रम पहुंचकर ऋषि के दर्शन किये।
परसुराम जी विश्वामित्र की बहन सत्यवती के पौत्र थे ।
ब्रह्मांड पुराण में स्प्ष्ट है कि मंडला ही महिष्मतीपुर है और अमरकंटक के पास दमगढ़ ही जमदग्नि आश्रम था और परसुराम की जन्म स्थली है। ब्राह्मण समुदाय इस बात को ध्यान दे कि ऊर्जा के अखंड तेजस्वी महापुरुष चिरंजीवी परसुराम की वास्तविक जन्मस्थली को पहचाने और इसका विकास करवाने का प्रयास करे। इसी दमगढ़ वस्ती के नीचे नर्मदा नदी से एक छोटी नदी जो दमगढ़ पहाड़ से बहकर आती है और नर्मदा में मिलती है उसी स्थान से प्रभु श्रीराम लक्ष्मण और सीता जी ने नर्मदा पार कर उद्गम की ओर निकले । डॉ रामगोपाल सोनी परमहंस धारकुंडी आश्रम के श्री श्री 1008 श्री स्वामी सच्चिदानंद महाराज के कृपापत्र शिष्य है । जो विभिन्न ग्रन्थ शास्त्र पर अनुसंधान कर रहे है जैसे राम वन गमन पथ , कृष्ण पथ , परशुराम के जीवन पर कर रहे है।
भगवान परशुराम जयंती के पावन अवसर पर अमरकंटक के ब्राह्मण समाज पूजन और शोभायात्रा में पंडित उमेश द्विवेदी , धनेश द्विवेदी, राजेश द्विवेदी, रूपेश द्विवेदी, अभिषेक द्विवेदी, प्रकाश द्विवेदी,कान्हा द्विवेदी, राधेश्याम उपाध्याय, मार्कण्डेय शर्मा, विनायक द्विवेदी, आकाश द्विवेदी,प्रकाश द्विवेदी, अश्वनी तिवारी, योगेश दुबे,मु नीश पांडेय,उमाशंकर पांडेय, धनंजय तिवारी, जितेंद्र तिवारी सहीत सैकड़ों ब्राह्मण उपस्थित हुए ।
(Udaipur Kiran) / राजेश शुक्ला
