
–जैन धर्म से सम्बन्धित सत्कर्म सम्पूर्ण समाज के लिए प्रासंगिकः डाॅ0 देव नारायण
–अविवि के ऋषभदेव जैन शोध पीठ में जैन धर्म के विषय पर संगोष्ठी का आयोजन
अयोध्या, 30 अप्रैल (Udaipur Kiran) । राजकीय रमाबाई डिग्री कालेज के इतिहास विभाग के एसोसिएट प्रो. डा. रवीन्द्र कुमार वर्मा ने जैन धर्म के विभिन्न पहलुओं को रेखांकित करते हुए कहा कि जैन धर्म के ऐतिहासिक, पुरातात्विक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व है। हम सभी जहां उपस्थित हैं, वह धरती जैन धर्म के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है। यह सनातन धर्म के लिए ही नहीं बल्कि जैन धर्म के अनुयायियों के लिए भी यह स्थान अत्यन्त पवित्र है।
डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के ऋषभदेव जैन शोध पीठ में प्रो.वर्मा बुधवार को जैन धर्म के विभिन्न पक्ष विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि अयोध्या में ही जैन धर्म के पांच तीर्थंकरों का जन्म हुआ है। तीर्थंकर ऋषभदेव, अजीतनाथ, अभिनंदननाथ, सुमतिनाथ, अनन्तनाथ तथा धर्मनाथ ने अयोध्या में जन्म लेकर इस नगरी को जैन धर्मावलम्बियों के लिए पूज्यनीय बनाया है। आदि तीर्थंकर भगवान श्री ऋषभदेव ने अयोध्या की धरती से ही असि, मसि, कृषि, विद्या, वाणिज्य एवं शिल्प का उपदेश देकर सम्पूर्ण विश्व को विकसित करने का मूलमन्त्र दिया।
उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान में जैन धर्म सम्पूर्ण विश्व को अपने सिद्धान्तों के माध्यम से अहिंसा और शान्ति का सन्देश दे रहा है। इससे स्पष्ट होता है कि जैन धर्म की प्रासंगिकता सम्पूर्ण विश्व में आज भी है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए ऋषभदेव जैन शोध पीठ के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ0 देव नारायण वर्मा ने जैन धर्म के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि आज भी समाज के विभिन्न वर्गों के लिए जैन धर्म उपयोगी है। वर्तमान में जैन धर्म में वर्णित दैनिक क्रियाओं से सम्बन्धित सत्कर्म सम्पूर्ण समाज के लिए प्रासंगिक है।
कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्र एवं स्मृति चिह्न देकर किया गया। इसके उपरांत छात्राओं द्वारा कुलगीत की प्रस्तुति की गई। कार्यक्रम का संचालन डॉ0 देव नारायण ने किया। अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन डॉ0 आलोक कुमार मिश्र ने किया। इस अवसर पर डॉ0 श्याम बहादुर, डॉ0 दिव्या वर्मा, डॉ0 अखण्ड प्रताप सिंह, सुधीर सिंह, श्रीमती शैलेश, नसीब अली व अन्य छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।
(Udaipur Kiran) / पवन पाण्डेय
