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बीजापुर में नक्सल विरोेधी अभियान नवें दिन भी जारी, तेलंगाना में ठंडी पड़ी कार्रवाई

तेलंगाना में ठंडा पड़ा नक्सल रोधी अभियान

तेलंगाना सरकार व विपक्ष द्वारा नक्सलियों के शांति वार्ता का समर्थन करने से अभियान हुआ सुस्त

जगदलपुर, 30 अप्रैल (Udaipur Kiran) । छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में तेलंगाना की सीमा पर देश का सबसे बड़ा नक्सल विरोधी अभियान आज नवें दिन भी जारी रहा। नक्सलियों के लिए सुरक्षित माने जाने वाला करेंगुट्टा पहाड़ का पूरा इलाका बीहड़ जंगलाें से घिरा है। यहां का तापमान अभी 40 से 43 डिग्री के बीच बना हुआ है । इस पहाड़ की उंचाई पर जवानाें के पंहुचने के बाद आज बुधवार काे सेना के हेलीकॉप्टर काे उतारे जाने का एक विडियाें वायरल हाे रहा है, जिसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है । नक्सल विरोधी अभियान जैसे-जैसे आगे बढ़ने लगा, इसके साथ ही भाजपा शासित छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य तेलंगाना में भाजपा के विरोधी राजनैतिक पार्टी के बीच इस सबसे बड़े नक्सल अभियान को लेकर राजनीति शुरू हो गई है । तेलंगाना की कांग्रेस सरकार एवं विपक्ष द्वारा नक्सलियों के शांति वार्ता का समर्थन करने की वजह से सरकार ने इस अभियान से किनारा कर लिया है। इससे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के पूरे देश में नक्सलवाद खत्म करने के संकल्प को कितना प्रभावित करेंगे, यह आने वाला समय बतायेगा, लेकिन इन सबका प्रत्यक्ष प्रभाव सबसे बड़े नक्सल विरोधी अभियान में स्पष्ट दृष्टिगोचर होने लगा है।

तेलंगाना सरकार ने अभियान से किया किनारा

शांति वार्ता समिति के दुर्गा प्रसाद, प्रो. हरगोपाल, प्रो. अनवर खान और संयोजक न्यायमूर्ति चंद्रकुमार समेत अन्य सदस्यों ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी से बातचीत की है। इसमें शांति वार्ता के लिए पहल करने और नक्सल अभियान को रुकवाने पर जोर दिया है। समिति के सदस्यों ने इस बैठक में मुख्यमंत्री से कर्रेगुट्टा में युद्ध विराम के लिए केंद्र पर दबाव डालने को कहा है, जिस पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने भी आश्वासन दिया है कि वे इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे। इस आश्वासन के बाद तेलंगाना की कांग्रेस सरकार एवं विपक्ष द्वारा भी नक्सलियों के शांति वार्ता का समर्थन करने की वजह से तेलंगाना सरकार ने इस अभियान से किनारा कर लिया है। जबकि जहां सबसे बड़ा नक्सल अभियान चल रहा है, वहां का लगभग 40 से 50 प्रतिशत हिस्सा तेलंगाना में समाहित है। इसका नतीजा ये है कि तेलंगाना की सीमा पर देश के सबसे बड़े नक्सल विरोधी अभियान को अपेक्षित सफलता नहीं मिल रही है। यह भी स्पष्ट है कि जिस राज्य में भाजपा विरोधी राजनैतिक दल की सरकारें होंगी, वहां नक्सल विरोधी अभियान में रूकावट संभावित है । वहीं तेलंगाना की ओर से घिराव कमजोर होने के कारण करेंगुट्टा के पहाड़ में माैजूद नक्सलियों के बड़े कैडराें सहित हिड़मा तेलंगाना के जंगलों में उतर गये और मौके से फरार हो गये।

नक्सली संगठन में हिड़मा अकेला बस्तर से

इस संबंध में तेलंगाना के भद्रादि कोत्तागुडेम के एएसपी विक्रांत सिंह ने बताया कि तेलंगाना पुलिस या फिर ग्रेहाउंड्स (खोजी कुत्ते) इस ऑपरेशन में शामिल नहीं है। चेरला से अवश्य ही कुछ ऑपरेट हो रहा है, लेकिन उसमें तेलंगाना पुलिस की भूमिका नहीं है। सिर्फ और सिर्फ सीआरपीएफ और कोबरा बटालियन दोनों ऑपरेट कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि नक्सलियों के पोलित ब्यूरो, सेंट्रल कमेटी, तेलंगाना स्टेट कमेटी, दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी जैसे बड़े कैडर्स में अधिकांशत: तेलंगाना के ही नक्सली शामिल हैं । बस्तर से माड़वी हिड़मा ही अकेला ऐसा ऐसा शख्स है, जिसे सेंट्रल कमेटी में शामिल किया गया है। तेलंगाना सरकार एवं विपक्ष के बड़े नेता शांति वार्ता के पक्ष में खुलकर बोल रहे हैं । यही कारण है कि तेलंगाना की सीमा पर देश के सबसे बड़े नक्सल विरोधी अभियान में आज तक कोई अपेक्षित सफलता नहीं मिल रही है।

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(Udaipur Kiran) / राकेश पांडे

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