
धमतरी, 29 अप्रैल (Udaipur Kiran) ।धमतरी जिले के नगर पंचायत मगरलोड भैसमुंडी के वार्ड नौ में प्राचीन काल से अक्षय तृतीया के दिन मिट्टी के पुतरा-पुतरी का विवाह कराने की परंपरा है। उसी के चलते इस दिन कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। 29 अप्रैल को छोटे-छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गो ने पुतरा पुतरी की शादी कराई। बरात ले जाने से लेकर पांव पूजन एवं विदाई भी कराई। ढोलक बजाकर गाने गाए।पुरानी परंपराओं के साथ मंडप बनाकर पूरे विधि-विधान से विवाह किया गया। छोटे बच्चे भी गुड्डे-गुड़ियों का विवाह कर खुशियां बटोरते हैं।
वार्ड क्रमांक नौ के बुजुर्ग मयाराम साहू ने बताया कि पहले पुतरा-पुतरी के विवाह का विशेष महत्व रहा करता था। इस दिन बकायदा लकड़ी के पाटे को चारों तरफ से सजाकर पुतरा-पुतरी का विवाह पूरे विधि-विधान से संपन्न किया जाता था, लेकिन बदलते समय के परिवेश में इसमें विशेषकर शहरी क्षेत्रों में लगातार परिवर्तन देखने को मिल रहा है। ग्रामीण लोकेश साहू ने बताया कि हमारे जमाने में बांस और मिट्टी से निर्मित पुतरा-पुतरी का चलन था। हालांकि कहीं कहीं अब भी यह देखने को मिल जाता है, लेकिन आधुनिकता इस पर भी हावी हो गई है। बच्चे अब आधुनिक परिधान में सजे गुड्डे-गुड़ियों की ओर ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं। मान्यता है कि इस दिन बिना कोई पंचांग देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह-प्रवेश, वस्त्र-आभूषणों या वाहन आदि की खरीदारी से संबंधित कार्य किए जा सकते हैं।
(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा
