

धमतरी, 28 अप्रैल (Udaipur Kiran) । शहर में अक्षय तृतीया पर बच्चों की धूम मची हुई है। बच्चों ने तीन दिन पूर्व से गुड्डा गुड़ियाें के त्योहार को शुरुआत कर ली है। परंपरागत गुड्डा -गुड़ियों की रस्म को निभा रहे हैं। चुलमाटी से विवाह की शुरू हुई है। मोहल्लेवासियों के साथ मिट्टी लेने तालाब किनारे पहुंचे। बच्चे उत्साह के साथ थिरकते नजर आए।
परंपरा अनुसार बच्चे गुड्डे गुड़िया के विवाह को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इसे लेकर बच्चों में धूम मची रहती है। इसी तरह धमतरी में अक्षय तृतीया के तीन दिन पूर्व प्रत्येक वार्ड गलियों में गुड्डा गुड़िया यानी पुतरा पुतरी का विवाह रचा रहे हैं। परंपरा अनुसार बाजे-गाजे के साथ बच्चे अपने मोहल्ले से निकल कर सिर में बांस से बने पर्रा लेकर चुलमाटी लेने पहुंच रहे हैं। तालाब किनारे पहुंचकर पूजा अर्चना की गई। जिस तरह से विवाह में मिट्टी लेकर विवाह स्थल में पहुंचते हैं, ठीक इसी तरह बच्चे भी तालाब किनारे मिट्टी लेने पहुंचकर रस्मों को निभाते हुए विधि विधान के विवाह स्थल तक पहुंचे। मालूम हो कि अक्षय तृतीया को हिंदू धर्म के अनुसार विवाह के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन किसी भी शुभ कार्य या विवाह के लिए मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती। काफी संख्या में विवाह संपन्न होते हैं। छत्तीसगढ़ में अक्षय तृतीया को अक्ती के नाम से जाना जाता है।
गुड्डी गुड़िया का त्योहार छत्तीसगढ़ में काफी चर्चित है। छत्तीसगढ़ के परंपरा के अनुसार गुड्डी गुड़िया का त्योहार तीन दिनों का होता है। पहले दिन चुलमाटी जाते हैं। दूसरे दिन संगीत की तरह मायन का कार्यक्रम करते हैं। तीसरे दिन गुड्डा की बरात निकाली जाती है। जिसके बाद गुड़िया वाले पक्ष में जाकर विवाह रचाई जाती है। गुड्डा-गुड़िया के बरात में आने वाले बरातियों में के लिए नाश्ता भी परोसा जाता है।
(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा
