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जनहित याचिका कर लगाया 1.50 लाख रुपये का हर्जाना

हाईकाेर्ट

जयपुर, 27 अप्रैल (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने बिजली विभाग के एक रिटायर मुख्य अभियंता पर 1.50 लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए उसकी जनहित याचिका को खारिज कर दिया। जनहित याचिका में उन्होंने राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड और नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के संयुक्त उद्यम को रद्द करने की मांग की थी। सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस आनंद शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश अजय चतुर्वेदी की जनहित याचिका पर दिए। अदालत ने इस याचिका को स्वार्थ प्रेरित और कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग बताया। याचिकाकर्ता का तर्क था कि बिजली उत्पादन के क्षेत्र में उनके अनुभव के आधार पर यह संयुक्त उद्यम भविष्य में बिजली की महंगी दरों की ओर ले जाएगा, जो जनहित के खिलाफ है।

सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने देखा कि यह संयुक्त उद्यम छबड़ा थर्मल पावर प्लांट के आसपास कई परियोजनाओं को लागू करने के उद्देश्य से किया गया, जिससे अतिरिक्त उत्पादन इकाइयाँ स्थापित की जा सके और उत्पादन लागत घटे। अदालत ने कहा कि मामले में सिर्फ इस आधार पर हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता कि याचिकाकर्ता बिजली विभाग में अभियंता रहे हैं। याचिकाकर्ता ने केवल अपनी कल्पना के आधार पर यह दावा किया है कि इस तरह की व्यवस्था से उत्पादन लागत बढ़ सकती है। दर निर्धारण कई कारकों पर निर्भर करता है, जिनकी जांच इस न्यायालय द्वारा नहीं की जा सकती। अदालत ने यह भी कहा कि यह जनहित याचिका कुछ कर्मचारी संघों के हित को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रेरित लगती है, जो इस संयुक्त उद्यम का विरोध कर रहे हैं, जैसा कि रिकॉर्ड पर उपलब्ध अभ्यावेदनों से स्पष्ट है। न्यायालय ने कहा कि यह जनहित याचिका न्यायालय के समय और संसाधनों की बर्बादी है और कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है। इसलिए इसे हर्जाने के साथ खारिज किया जाना चाहिए। इसके साथ ही अदालत ने जनहित याचिका खारिज कर याचिकाकर्ता पर 1.50 लाख रुपये का हर्जाना लगाया है।

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(Udaipur Kiran)

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