-एसोसिएशन ऑफ स्मॉल एंड मीडियम न्यूजपेपर्स ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित 31वां राष्ट्रीय अधिवेशन
जयपुर, 27 अप्रैल (Udaipur Kiran) । एसोसिएशन ऑफ स्मॉल एंड मीडियम न्यूजपेपर्स ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित 31वें राष्ट्रीय अधिवेशन के दूसरे सत्र में शिक्षा और पत्रकारिता विषय पर गहन चर्चा हुई। हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. सुधि राजीव, वरिष्ठ पत्रकार गोविन्द चतुर्वेदी और नारायण बारेठ ने पत्रकारिता को परिवार, समाज और राष्ट्रहित में दृष्टिपरक बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
डॉ. सुधि राजीव ने विश्वविद्यालय की गतिविधियों का उल्लेख करते हुए बताया कि वहां पत्रकारिता की पढ़ाई के साथ तकनीकी दक्षता पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। छात्रों को विभिन्न मीडिया संस्थानों में इंटर्नशिप करवाई जा रही है ताकि वे वास्तविक अनुभव प्राप्त कर सकें। उन्होंने कहा कि सफल पत्रकार बनने के लिए ज्ञान और कौशल का संतुलित उपयोग आवश्यक है। विश्वविद्यालय पाठ्यक्रमों को समय के अनुरूप अद्यतन करने और संसाधनों को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।
वरिष्ठ पत्रकार गोविन्द चतुर्वेदी ने अपने संबोधन में कहा कि भले ही शिक्षा आज की पत्रकारिता के लिए अत्यंत आवश्यक हो, लेकिन पुराने समय के पत्रकारों की दृष्टि और संवेदनशीलता का कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता दिमाग से ज्यादा दिल का काम है और पत्रकारों को समाज के पीड़ित वर्ग की आवाज बनना चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार नारायण बारेठ ने मीडिया में बढ़ते औद्योगिक निवेश पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज के दौर में पत्रकारिता व्यवसायिकता की ओर बढ़ रही है, जिससे विशुद्ध पत्रकारिता प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा कि आज की पत्रकारिता में साहित्यिक चेतना की कमी है और युवा पत्रकारों को कठिन सवाल पूछने में भी हिचक महसूस होती है। ऐसे माहौल में छोटे और मझोले समाचार पत्रों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है, जो बिना किसी दबाव के जनहित के मुद्दे उठाने का साहस करते हैं।
परिचर्चा का संचालन वरिष्ठ पत्रकार अमृता मौर्य ने किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में संगठन के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल गुप्ता, मुख्य महासचिव डॉ. तरुण कुमार जैन और धर्मेंद्र सोनी ने अतिथियों का स्वागत किया।
परिचर्चा का समापन इस विचार के साथ हुआ कि पत्रकारिता में चुनौतियाँ सदा रही हैं और आगे भी रहेंगी, लेकिन पत्रकारों को हमेशा सचेत रहकर निष्पक्षता के साथ जनहित में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए।
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(Udaipur Kiran) / रोहित
