
ग्वालियर, 25 अप्रैल (Udaipur Kiran) । राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय से संबद्ध कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा शुक्रवार को ग्राम बडकी सराय में कृषक जागरूकता सह संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का उद्देश्य किसानों को नरवाई प्रबंधन के बारे में जागरूक करना और उन्हें इसके महत्व के बारे में बताना था।
नरवाई जलाने से होने वाले नुकसान
प्रायः देखा जाता है कि जिले के बहुत बड़े क्षेत्र में रबी फसल गेंहूं की कटाई उपरांत किसानों द्वारा अपने खेतों की सफाई/नरवाई को नष्ट करने के लिए आग लगा दी जाती है। इससे भूमि में लाभदायक मित्र कीट और जीवाणु नष्ट हो जाते हैं, साथ ही भूमि और वातावरणीय तापमान भी बढ़ जाता है जो कि भूमि के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी अत्यधिक हानिकारक होता है। नरवाई जलाने से मृदा में कार्बनिक पदार्थों की कमी हो जाती है, जिससे मृदा की जलधारण क्षमता कम होने के साथ-साथ भौतिक स्थिति और उर्वराशक्ति का ह्रास होता है।
वैकल्पिक तरीके
केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. राजीव सिंह चौहान ने फसल कटाई उपरांत नरवाई न जलाकर उसे स्ट्रॉ रीपर द्वारा पशुओं के लिए भूसा बनवाने की सलाह दी। यदि भूसा नहीं बनवाया जाता है, तो विघटक (बायोडिकम्पोजर) का छिड़काव कर खेत की 10-12 दिन बाद जुताई कर सिंचाई कर देनी चाहिए। इससे मृदा में कार्बनिक पदार्थ की वृद्धि होती है।
संगोष्ठी में दी गई जानकारी
केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एस.पी.एस. तोमर ने नरवाई प्रबंधन पर किसानों को जागरूक करने के साथ जायद में खड़ी फसलों के कीट और रोग प्रबंधन पर विस्तृत जानकारी दी। इफको के क्षेत्रीय प्रबंधक आर. के. महोलिया ने बायोडिकम्पोजर का छिड़काव कर नरवाई को सड़ाने के लिए बायोडिकम्पोजर के उपयोग विधि पर प्रायोगिक जानकारी दी।
संगोष्ठी में कृषकों की भागीदारी
संगोष्ठी में बड़की सराय और आस-पास के ग्रामों के 50 कृषकों ने भाग लिया। किसानों ने आगामी धान फसल की तैयारी के संबंध में आने वाली समस्याओं का समाधान वैज्ञानिकों से प्राप्त किया। संगोष्ठी में बलविंदर सिंह, सुखविंदर, बालकिशन कुशवाह, प्रीतम सिंह, बलजीत कौर, हरपाल कौर आदि कृषकों ने भाग लिया।
(Udaipur Kiran) तोमर
