HimachalPradesh

बार बार स्थानांतरण पर बोले एचएएस अधिकारी, दूसरा विमल नेगी नहीं बनना चाहता

संजीव कुमार भोट।

धर्मशाला, 25 अप्रैल (Udaipur Kiran) । एचएएस अधिकारी एवं धर्मशाला के एसडीएम रहे संजीव कुमार भोट ने उनके बार-बार हो रहे तबादलों से आहत होकर मुख्य सचिव को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) के लिए आवेदन करने का मामला चर्चा का विषय बन गया है। शुक्रवार को धर्मशाला से राजधानी शिमला तक नेताओं और ब्यूरोक्रेसी सहित आम लोगों में इस विषय पर चर्चाओं का बाज़ार गर्म रहा। वहीं संजीव भोट भी इस मामले को लेकर अब खुलकर बोलने से परहेज नहीं कर रहे हैं। शुक्रवार को मीडिया में उन्होंने इस मुद्दे पर खुलकर बात की।

उन्होंने कहा कि जिस तरह से पिछले ढाई वर्षों में उनका चार बार तबादला किया गया है, वह कहां तक तर्कसंगत है। उन्होंने कहा कि वह दूसरे विमल नेगी नही बनना चाहते हैं इसलिये उन्होंने वीआरएस के लिए आवेदन किया है।

जनजातीय क्षेत्र लाहुल स्पीति से संबंध रखने वाले संजीव भोट ने उन्हें दो सालों में ही किन्नौर से भरमौर पहुंचा दिया गया, जिसके चलते वह परेशान हैं। तहसीलदार से एचएएस अधिकारी प्रोमोट हुए संजीव कुमार भोट ने उनके साथ भेदभाव करने के भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि वह राजनीति नहीं, बल्कि ब्यूरोक्रेसी का शिकार हो रहे हैं। संजीव भोट इससे पहले किन्नौर में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। किन्नौर से भी मात्र सात माह में उनका तबादला शिमला जिला के अति दुर्गम क्षेत्र डोडरा क्वार कर दिया था। वहां से भी कुछ समय बाद ही उपचुनावों में उन्हें डोडरा क्वार से धर्मशाला भेज दिया और यहां पर भी मात्र एक साल के बाद ही उन्हें अब प्रदेश के दूसरे छोर दुर्गम क्षेत्र भरमौर भेज दिया गया है। उपचुनाव के समय अधिक काम होने और हालात ठीक होने के बाद उन्हें यहां से फिर जनजातीय क्षेत्र भरमौर भेजने से एचएएस अधिकारी परेशान हैं। अपने परिवारिक कारणों सहित लगातार हो रहे तबादलों से आहत एचएएस अधिकारी ने मुख्य सचिव हिमाचल प्रदेश सरकार को अपना रिज़ाइन भेज दिया है।

उनका आरोप है कि अधिकारियों का एक समूह है, जो उनके खिलाफ काम कर रहा है, जिससे वह बहुत आहत हैं। मात्र दो सालों में किन्नौर से भरमौर भेजना तर्कसंगत नहीं है। एक भी स्टेशन पर टिक कर उन्हें काम करने नहीं दिया जा रहा है, जबकि इससे जनता में भी नाराजगी है। हालांकि वह उनके तबादलों को राजनीतिक आधार नहीं मान रहे हैं और न ही जिला के अधिकारियों पर कोई टिप्पणी कर रहे हैं, लेकिन इस सारे घटनाक्रम के लिए वह शिमला सचिवालय में बैठे ब्यूरोक्रेसी को जिम्मेदार मानते हैं।

(Udaipur Kiran) / सतिंदर धलारिया

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