मुंबई, 24 अप्रैल (Udaipur Kiran) । बांबे हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया है, जिसमें लॉ कॉलेज के छात्रों के लिए कक्षा में 75 की उपस्थिति अनिवार्य होने के बावजूद इस नियम का सख्ती से पालन नहीं किया जा रहा है। अदालत ने कहा कि छात्रों को पर्याप्त उपस्थिति के बिना परीक्षा में बैठने की अनुमति देने के आरोप के संबंध में याचिकाकर्ता कोई ठोस सबूत देने में विफल रहे हैं।
मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति मकरंद कार्णिक की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने परीक्षा में बैठने वाले छात्रों के नामों का खुलासा भी नहीं किया है। याचिका खारिज करते हुए पीठ ने स्पष्टीकरण दिया कि अनिवार्य उपस्थिति की शर्त पूरी किए बिना परीक्षा में बैठने वाले छात्रों के नाम बिना किसी महत्वपूर्ण विवरण के प्रस्तुत किए गए हैं। हालांकि अदालत ने याचिकाकर्ता को आरटीआई अपील दायर करने की अनुमति दी और कहा कि यदि याचिकाकर्ता को सही विवरण मिल जाता है तो वह नई याचिका दायर कर सकता है।
मुंबई विश्वविद्यालय ने कक्षा में 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य कर दी है, फिर भी छात्र इस शर्त का उल्लंघन कर रहे हैं। कई कानून के छात्र लॉ फर्मों में इंटर्न के रूप में काम करते हैं। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि कॉलेजों द्वारा इस मामले में सख्त कार्रवाई नहीं किए जाने के कारण छात्रों की अनुपस्थिति की दर बढ़ गई है। इस संबंध में मुंबई विश्वविद्यालय द्वारा बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) और यूजीसी को कई पत्र भेजे. याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि कोई प्रतिक्रिया या कार्रवाई न होने के कारण यह याचिका दायर की गई थी।
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(Udaipur Kiran) / वी कुमार
