Madhya Pradesh

पहलगाम आतंकी हमले पर मुनि विनम्रसागर बोले- देश बचेगा, तभी धर्म बचेगा

पहलगाम आतंकी हमले पर बोले मुनि विनम्रसागर: देश बचेगा, तभी धर्म बचेगा

उज्जैन, 24 अप्रैल (Udaipur Kiran) । पहलगाम आतंकी हमले पर मुनि विनम्रसागर ने गुरुवार को अपने प्रवचन में कहा कि देश बचेगा तभी धर्म बचेगा। जब तक आत्मरक्षा के लिए शस्त्र नहीं उठाया जाएगा, तब तक धर्म और राष्ट्र, दोनों असुरक्षित रहेंगे। पहलगाम में हुए आतंकी हमले में भारतीय नागरिकों की नृशंस हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया है। अब केवल संवेदना नहीं, संकल्प की आवश्यकता है।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, एनएसए अजीत डोभाल, और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को देश के चार धर्म स्तंभ बताया। अपील की कि पूरा देश इनकी ताकत को अपना समर्थन दे।

आचार्य विद्यासागरजी एवं आचार्य समयसागरजी के शिष्य मुनि विनम्रसागरजी फ्रीगंज स्थित दिगंबर जैन पंचायती मंदिर में विराजीत है। प्रतिदिन प्रात: 9 बजे प्रवचन देते हैं। गुरूवार को अपने प्रवचन के दौरान वे अत्यंत भावुक हो गए। उन्होने अपने प्रवचन में तीर्थंकर आदिनाथ भगवान की वाणी का उल्लेख करते हुए कहा कि जब तक आत्मरक्षा के लिए शस्त्र नहीं उठाया जाएगा, तब तक धर्म और राष्ट्र दोनों असुरक्षित रहेंगे। सामान्यतया उनके प्रवचनों में धर्म, समाज और राष्ट्र हित के विचारों की त्रिवेणी प्रवाहित होती है।

असली दोषी वे,जो आतंकवादियों को पनाह दे रहे

मुनिश्री ने चार प्रकार की हिंसा-आरंभिक, औद्योगिक, विरोधी और संकल्पी हिंसा की विवेचन की। उन्होने विवेचना में स्पष्ट किया कि विरोधी हिंसा धर्म की मर्यादा में है किंतु संकल्पपूर्वक हिंसा वर्जित है। सीमा पर सैनिक द्वारा चलाई गई गोली कभी भी पाप नहीं होती, वह राष्ट्र रक्षा की साधुता है। कश्मीर में एके-47 से पर्यटकों को मारने वाले सिर्फ मोहरे हैं। असली दोषी वे हैं जो इन्हें पालते हैं, हथियार देते हैं और भारत में पनाह देते हैं।

मुक्त हस्त से दान दें सैनिक कल्याण निधि में

मुनिश्री ने कहा देश नहीं रहेगा तो धर्म का क्या होगा? मंदिर भी नहीं रहेंगे, साधु भी नहीं रहेंगे। इसलिए पहले राष्ट्र, फिर धर्म। उन्होंने भारत के हर नागरिक से अपील की कि वे सैनिक कल्याण निधि में मुक्त हस्त से दान दें। स्पष्ट शब्दों में कहा कि अब भारत की धरा आतंकवाद नहीं सह सकती। या तो उसका अस्तित्व रहेगा या हमारा।

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(Udaipur Kiran) / ललित ज्‍वेल

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