
जोधपुर, 22 अप्रैल (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट की न्यायाधीश रेखा बोराणा ने एक रिट याचिका की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से पूछा है कि कोर्ट आदेशों से राजस्थान फार्मेसी काउन्सिल में पंजीकृत होने के बाद भी क्या राज्य सरकार याचिकाकर्ताओं का रिजल्ट रोक सकती हैं? इसके साथ ही कोर्ट ने फार्मासिस्ट नियमित भर्ती-2023 में चार पद रिक्त रखने के अंतरिम आदेश दिए है। मामले में अगली सुनवाई दो मई को होगी।
हाईकोर्ट में जिला प्रतापगढ़ व नागौर के याचिकाकर्ताओं पवन कुमार निनामा व अन्य की ओर से अधिवक्ता यशपाल खि़लेरी ने रिट याचिका पेश कर बताया कि याचिकाकर्ताओं ने सत्र वर्ष 2014-15 और 2015-16 में भारतीय फार्मेसी कॉउन्सिल नई दिल्ली से अनुमोदित अग्रवाल फार्मेसी कॉलेज, मेड़ता सिटी से दो वर्षीय फार्मेसी डिप्लोमा उत्तीर्ण किया था लेकिन तत्समय राजस्थान फार्मेसी काउन्सिल जयपुर ने उक्त कॉलेज से उत्तीर्ण फार्मेसी डिप्लोमा अभ्यर्थियों का पंजीयन करने से इंकार कर देने पर कॉलेज और संस्थान ने वर्ष 2018 में रिट याचिका दायर की, जो वर्ष 2019 में स्वीकार की जाकर कॅउन्सिल को अभ्यर्थियों का नियमानुसार पंजीयन करने के आदेश दिए गए। तत्पश्चात काउन्सिल ने खंडपीठ में अपील दायर कर उक्त एकलपीठ निर्णय को चुनौती दी। हाइकोर्ट की खंडपीठ ने काउन्सिल की अपील ख़ारिज करते हुए एकलपीठ के निर्णय को सही ठहराया और आदेश दिए कि भारतीय फार्मेसी काउन्सिल नई दिल्ली से अनुमोदित अग्रवाल फार्मेसी कॉलेज मेड़ता सिटी से उत्तीर्ण शेष रहे फार्मेसी डिप्लोमा अभ्यर्थियों का पंजीयन करें। तदनुसार याचिकाकर्ताओं का भी फार्मेसी डिप्लोमा नियमानुसार सही मानते हुए उनका पंजीयन वर्ष 2020 में कर दिया गया। अब चिकित्सा विभाग द्वारा पांच मई 2023 को फार्मासिस्ट के नियमित 2766 पदो हेतू विज्ञापन जारी किया गया। उक्त पद हेतु नियम 1965 के अनुसार निर्धारित योग्यता (1) फार्मेसी में डिप्लोमा और (2) राजस्थान फार्मेसी काउन्सिल में रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट होना आवश्यक किया गया जिसके अनुसरण में याचिकाकर्ताओ ने आवेदन किए।
दस्तावेजों के बाद भी रोका रिजल्ट :
याचिकाकर्ताओं की ओर से बताया गया कि दस्तावेज सत्यापन काउंसलिंग पश्चात चिकित्सा विभाग की भर्ती एजेंसी शिफ़ू ने पांच जुलाई 2024 को अस्थायी वरीयता सूची जारी की जिसमे औषधि नियंत्रक से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर याचिकाकर्ताओं का रिजल्ट रोक दिया गया। इस पर प्रार्थी ने समस्त आवश्यक दस्तावेज भी जमा करवा दिए और संबंधित विश्वविद्यालय, कॉलेज और काउन्सिल द्वारा भी वापिस सत्यापन कर याचिकाकर्ताओं के व्यावसायिक योग्यता अंकतालिका को नियमानुसार सही बताया गया।। अब आठ माह बाद चिकित्सा विभाग की भर्ती एजेंसी शिफ़ू ने फार्मासिस्ट भर्ती 2023 के संबंध में 24 मार्च 2025 को स्थायी वरीयता सूची जारी की, जिसमे याचिकाकर्ताओं के व्यावसायिक योग्यता को संदिग्ध बताते हुए याचिकाकर्ताओ का रिजल्ट फिर से रोक दिया गया। जिस पर रिट याचिका पेश की गई।
जांच के बाद ही होता है पंजीयन :
अधिवक्ता खि़लेरी ने बताया कि राजस्थान फार्मेसी काउन्सिल में पंजीयन होने का तात्पर्य भी यही है कि फार्मेसी अधिनियम,1948 के प्रावधानों के तहत भारतीय फार्मेसी काउन्सिल, नई दिल्ली से मान्यता प्राप्त अनुमोदित संस्थान से संबंधित अभ्यर्थी ने नियमानुसार फार्मेसी में डिग्री या डिप्लोमा कोर्स उत्तीर्ण किया है और समस्त जांच पड़ताल के बाद ही पंजीयन किया जाता है। ऐसे में अंतिम मेरिट में स्थान पाने के बावजूद, चिकित्सा विभाग बिना किसी कारण से याचिकाकर्ताओं को नियमित नियुक्ति से वंचित कर रही हैं जो राज्य सरकार द्वारा की जा रही उक्त कार्यवाही विधिविरुद्ध और असवैधानिक है।
(Udaipur Kiran) / सतीश
