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बंगाल की हिंसक घटनाओं के विराेध में अजमेर कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन, राष्ट्रपति शासन की मांग

बंगाल की हिंसक घटनाओं पर अजमेर कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन। राष्ट्रपति शासन की मांग।
बंगाल की हिंसक घटनाओं पर अजमेर कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन। राष्ट्रपति शासन की मांग।

अजमेर, 19 अप्रैल (Udaipur Kiran) । वक्फ बोर्ड कानून के लागू होने के विरोध की आड़ लेकर पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद में हो रही हिंसक घटनाओं पर 19 अप्रैल को विश्व हिंदू परिषद की ओर से अजमेर कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन जबरदस्त रोष व्यक्त किया गया। इस रोष प्रदर्शन में केंद्रीय मंत्री आनंद प्रकाश गोयल, प्रांत उपाध्यक्ष स्नेहलता पंवार, विभाग संगठन मंत्री बनवारी, धर्म प्रसार सह संयोजक लेखराज सिंह राठौड़, महानगर अध्यक्ष अजीत अग्रवाल, महंत श्यामसुन्दर शरण देवाचार्य, नरसिंह मंदिर, सत्य नारायण, महावीर सिंह गौड़, रणजीत सिंह राजपूत, नामदेव समाज से के सी टेलर व राधेश्याम वर्मा, ब्राह्मण समाज से सुदामा शर्मा आदि मौजूद रहे।

प्रदर्शन से जुड़े सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश किशन गुर्जर ने बताया कि इस अवसर पर जिला कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन भी दिया गया। ज्ञापन में आरोप लगाया गया कि वक्फ कानून के विरोध की आड़ में संपूर्ण बंगाल को जिस प्रकार हिंसा की आग में जलाया जा रहा है, हिंदुओं को प्रताड़ित किया जा रहा है, राष्ट्र विरोधी और हिंदू विरोधी तत्वों को निर्बाध रूप से अपने षड्यंत्रों को क्रियान्वित करने की खुली छूट दी जा रही है, उससे स्पष्ट लगता है कि बंगाल की स्थिति अत्यधिक चिंताजनक है।

मुर्शिदाबाद से प्रारम्भ हुई यह भीषण हिंसा अब संपूर्ण बंगाल में फैलती हुई दिखाई दे रही है। शासकीय तंत्र दंगाइयों के सामने केवल निष्क्रिय ही नहीं अपितु कई स्थानों पर इनका सहायक या प्रेरक बन गया है। इससे पहले कि स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाए केंद्र सरकार को प्रशासन का नियंत्रण व संचालन अपने हाथ में लेकर राष्ट्र विरोधी व हिंदू विरोधी तत्वों को उनके कुकर्मों के लिए कठोरता सजा दिलवानी चाहिए। मुस्लिम भीड़ द्वारा 11 अप्रैल 2025 को वक्फ कानून के विरोध के नाम पर किया गया हिंसक प्रदर्शन कानून बनाने वाली सरकार के विरोध में नहीं अपितु हिंदुओं पर हिंसक आक्रमण के रूप में था जबकि हिंदू समाज का इस कानून के निर्माण में कोई भूमिका नहीं थी और यह एक शुद्ध संवैधानिक प्रक्रिया थी। इसका स्पष्ट अर्थ है कि वक्फ तो केवल बहाना था असली उद्देश्य मुर्शिदाबाद को हिंदू शून्य बनाना था। इस उन्मादी जिहादी भीड़ ने हिंदुओं के 200 से अधिक घरों और व्यावसायिक दुकानों को काटकर जलाया सैकड़ों हिंदुओं को बुरी तरह घायल किया व तीन नागरिकों की निर्मम हत्या की गई। दर्जनों महिलाओं के शीलभंग भी किए गए। परिणाम स्वरूप 500 से अधिक हिंदू परिवारों को मुर्शिदाबाद से पलायन करना पड़ा ।उनके पास जाकर उनकी चिंता एवं सहायता करने की अपेक्षा सुश्री ममता बनर्जी दंगा भड़काने वाले इमामो से मिल रही है जिनमें से एक इमाम ने एक दिन पहले ही धमकी दी थी कि अगर ममता बनर्जी ने उनका साथ नहीं दिया तो वह उसकी औकात बता देंगे। अब ये सारे तथ्य सामने आने पर यह समाचार मिल रहा है कि ममता बनर्जी अब शरणार्थियों को सुविधा देने की जगह उनको वापस जिहादियों के सामने जबरन परोसने का षड्यंत्र कर रही है।

विरोध प्रदर्शन कर रहे सर्व हिन्दू समाज के लोगों ने ज्ञापन में राष्ट्रपति के समक्ष आशंका व्यक्त की है कि ममता सरकार भारत के संघीय ढांचे को बंगाल में ध्वस्त कर अपनी सरकार और वोट बैंक को सुरक्षित रखने के लिए किसी भी सीमा तक जा सकती है। कहा गया है कि बंगाल में राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में आ चुकी है । बांग्लादेशी व रोहिंग्या घुसपैठियों को निर्बाध रूप से आने दिया जा रहा है। उनके आधार कार्ड बनाए जा रहे हैं। पाकिस्तानी तथा बांग्लादेशी आतंकी संगठनों की सक्रियता बढ़ती जा रही है।

हिंदुओं के प्रति हिंसा बढ़ती जा रही है और न्यायालय के आदेश पर ही हिंदू त्योहारों को अनुमति मिल पाती है। उनको सुरक्षा देने वाले अर्धसैनिक बलों को निशाना बनाया जाता है। हिंदू का अस्तित्व खतरे में पड़ चुका है। कानून व्यवस्था पूर्ण रूप से नष्ट हो चुकी है। तृणमूल के असामाजिक तत्व व जिहादी गुंडों के नियंत्रण व निर्देश पर ही प्रशासन काम करने के लिए विवश है । आज यह हिंसा मुर्शिदाबाद से निकलकर संपूर्ण बंगाल में फैलती जा रही है। अब यह बंगाल तक भी सीमित नहीं रहेगी। इसलिए देश की जनता मांग है कि बंगाल में अविलंब राष्ट्रपति शासन लगाया जाए । बंगाल की हिंसा की जांच एनआईए या सीबीआई के द्वारा करवाई जाए और दोषियों को अविलंब दंडित किया जाए । बंगाल की कानून व्यवस्था का संचालन केंद्रीय सुरक्षा बलों के हाथों में दिया जाए। बांग्लादेशी व रोहिंग्या घुसपैठियों की पहचान कर उनको निष्कासित किया जाए। बंगाल व बांग्लादेश की 450 किलोमीटर की सीमा पर तार लगाने का काम अविलंब प्रारंभ किया जाए जिसे ममता बनर्जी ने रोका हुआ था।

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(Udaipur Kiran) / संतोष

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