West Bengal

झूठ फैला रही है तृणमूल, वक्फ़ कानून के समर्थन में अब बंगाल की सड़कों पर भाजपा

भाजपा रैली

कोलकाता, 19 अप्रैल (Udaipur Kiran) । केंद्र सरकार द्वारा वक्फ़ अधिनियम में किए गए संशोधनों को लेकर पश्चिम बंगाल में सियासी माहौल गर्म है। तृणमूल कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल जहां इस कानून को मुसलमानों के अधिकारों में हस्तक्षेप बता रहे हैं, वहीं अब भाजपा ने इसके समर्थन में मैदान संभाल लिया है। पार्टी का अल्पसंख्यक मोर्चा राज्यभर में मुस्लिम समुदाय के बीच जाकर इस कानून की ‘सच्चाई’ समझाने की योजना बना रहा है।

भाजपा का दावा है कि वक्फ़ कानून का उद्देश्य गरीब और हाशिए पर खड़े मुसलमानों, खासकर मुस्लिम महिलाओं को सशक्त बनाना है। पार्टी का आरोप है कि तुष्टिकरण की राजनीति के तहत विपक्ष, खासतौर पर तृणमूल कांग्रेस, मुस्लिम समुदाय को इस कानून के खिलाफ भड़का रही है। भाजपा इस कथित गलतफहमी को दूर करना चाहती है।

भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने निर्देश दिया है कि राज्य के प्रत्येक संगठनात्मक जिले और मुस्लिम बहुल इलाकों में छोटे-छोटे इनडोर सभाओं का आयोजन किया जाए। पार्टी की ओर से एक केंद्रीय समिति भी बनाई गई है, जो जल्द ही बंगाल दौरे पर आएगी और अल्पसंख्यक नेताओं के साथ मिलकर आगे की रणनीति तय करेगी। यह समिति भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के नेतृत्व में गठित हुई है।

भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राज्य अध्यक्ष चार्ल्स नंदी ने कहा, हम मोहल्ले-मोहल्ले जाकर यह समझाएंगे कि यह कानून मुस्लिम समाज के कुछ मुट्ठीभर नेताओं के फायदे की जगह अब गरीब मुसलमानों के हित में लाया गया है। तृणमूल कांग्रेस इसे भी नागरिकता संशोधन कानून की तरह चुनावी मुद्दा बनाकर लोगों को गुमराह कर रही है। लेकिन हम सच्चाई सामने लाएंगे।

यह स्थिति तब सामने आई है जब राज्य में भाजपा के नेता शुभेंदु अधिकारी लगातार यह कहते रहे हैं कि भाजपा को मुस्लिम वोटों की आवश्यकता नहीं है। बावजूद इसके, भाजपा अब अल्पसंख्यकों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश करती दिख रही है।

सिर्फ मुस्लिम समुदाय ही नहीं, बल्कि अनुसूचित जाति और जनजातियों के बीच भी भाजपा अपनी जड़ें मज़बूत करने में जुटी है। पार्टी के निर्देश पर सभी जिलों में एससी-एसटी वर्ग के लिए सभाओं का आयोजन किया जा रहा है।

भाजपा की योजना है कि समाज के विभिन्न पेशेवर और प्रतिष्ठित व्यक्तियों को एकजुट कर मोदी सरकार की योजनाओं की जानकारी दी जाए और यह बताया जाए कि कैसे राज्य की तृणमूल सरकार इन वर्गों के अधिकारों की अनदेखी कर रही है।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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