Bihar

विद्यालय के एचएम को दिया गया चमकी बुखार (एईएस) से बचाव का प्रशिक्षण

विद्यालय में प्रशिक्षण में शामिल एचएम

नालंदा, 18 अप्रैल (Udaipur Kiran) ।

बच्चों के लिए खतरनाक मानी जाने वाली चमकी बुखार (एईएस) को लेकर शुक्रवार को बिहारशरीफ के बीआरसी परिसर में प्रधानाध्यापकों (एचएम) के लिए जागरूकता व प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया।

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता वीईओ पुष्पा कुमारी ने की जबकि तकनीकी जानकारी पिरामल फाउंडेशन और स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञों ने साझा की।पिरामल फाउंडेशन के जिला प्रोग्राम लीडर राजीव रंजन ने बताया कि चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों को जल्द से जल्द नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या अस्पताल पहुंचाना अत्यंत आवश्यक होता है। उन्होंने यह भी कहा कि मरीज को ले जाते समय उसे हिलाना-डुलाना नहीं चाहिए और संभव हो तो उसे एक तरफ करवट देकर सुलाकर ले जाना चाहिए, ताकि उल्टी की स्थिति में श्वास नली में अवरोध न हो। यात्रा के दौरान मरीज पर सतत निगरानी रखनी चाहिए।

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) के प्रतिनिधि पवन कुमार ने बताया कि एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जो मुख्य रूप से छोटे बच्चों को प्रभावित करती है। यह बीमारी वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण, या विषैले तत्वों के संपर्क में आने के कारण होती है, जिससे मस्तिष्क में सूजन आ जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों में बुखार के साथ यदि बेहोशी, दौरे, मानसिक भ्रम या कमजोरी जैसे लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

उन्होंने बताया कि इस बीमारी से बचाव के लिए साफ-सफाई बेहद जरूरी है। बच्चों को गंदगी से दूर रखें व हमेशा उबला हुआ पानी पिलाएं मच्छरों से बचाव करें और नियमित रूप से हाथ धोने की आदत डालें। खासकर गर्मी और बरसात के मौसम में जब एईएस के मामले अधिक आते हैं तब सतर्कता और भी अधिक आवश्यक हो जाती है।

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(Udaipur Kiran) / प्रमोद पांडे

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