HEADLINES

वक्फ बिल को कांग्रेस ने बताया अधिकारों पर हमला, कहा- सड़क से संसद तक विरोध करेंगे

नई दिल्लीः कांग्रेस मुख्यालय में गुरुवार को वक्फ अधिनियम 2025 को लेकर प्रेस वार्ता करते कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी और अभिषेक मनु सिंघवी

नई दिल्ली, 17 अप्रैल (Udaipur Kiran) । वक्फ अधिनियम-2025 के मुद्दे पर कांग्रेस आक्रामक मुद्रा में है। पार्टी के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी और पार्टी के अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन एवं सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने इसे सुधार की बजाय स्क्रिप्टेड, रणनीतिक समयबद्ध और संवैधानिक रूप से संदिग्ध प्रतिशोध करार दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इसका सड़क से संसद तक विरोध करेगी।

कांग्रेस मुख्यालय में आज एक पत्रकार वार्ता में सिंघवी ने कहा कि सरकार जिसे सुधार बता रही है, दरअसल वह अधिकारों पर प्रहार है। वक्फ अधिनियम प्रशासनिक कदम नहीं है, यह एक मूल वैचारिक हमला है। इसे ढंग से पढ़ने और समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कानून सुधार की भाषा में यह अधिनियम पूरी तरह से शत-प्रतिशत नियंत्रण की नीति लाने का प्रयास करता है। यह न सिर्फ धार्मिक संस्थाओं पर चोट करता है बल्कि अल्पसंख्यकों के आत्मनिर्णय, स्वायत्तता की भावना को कुचलता है। ये सत्ता की दखलंदाजी को सुशासन कहकर पेश करता है लेकिन कांग्रेस चुप नहीं रहेगी। पार्टी सड़क से लेकर संसद तक इस अधिनियम का विरोध करेगी।

उन्होंने कहा कि वक्फ़ अधिनियम एक लक्षित अतिक्रमण है। यह अधिनियम प्रशासनिक कार्यकुशलता के नाम पर स्थापित न्यायिक सिद्धांतों को कुचलता है। हमारे मानवाधिकार के पार्ट-3 में दो अनुच्छेद बेहद जरूरी हैं। इनमें 25, 26 विशेष हैं। 26 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि हर व्यक्ति को पूरा अधिकार है कि वह अपने धर्म का अभ्यास, निर्वहन और उसका प्रचार-प्रसार कर सकता है। वह धर्म से जुड़ी संस्थाओं को चलाने, उनका प्रबंधन देखने और उनके चुनावों में नामित हो सकता है। कोई ये नहीं कह रहा कि इन अधिकारों की कोई सीमा नहीं है। इसी के तहत संविधान में इसकी सीमा भी लिखी गई है और वे सीमाएं- पब्लिक ऑर्डर, सार्वजनिक व्यवस्था, स्वास्थ्य और नैतिकता हैं। हालांकि, आप देखेंगे तो इनका वक्फ़ अधिनियम से कोई संबंध नहीं है। इसमें कोई ऐसा प्रावधान नहीं है जो सार्वजनिक क़ानूनी व्यवस्था को बचाने के लिए किया गया हो, स्वास्थ्य और सार्वजनिक नैतिकता के लिए किया गया हो।

सिंघवी ने कहा कि 50-60 के दशक में पांच खंडपीठ का एक निर्णय दिया गया, जिसमें कहा गया कि किसी रूप में किसी ऐसे वर्ग की संस्थाओं की स्वायत्तताओं को हटाएंगे, उनके ऊपर नियंत्रण इतना करेंगे कि उनकी स्वायत्तता ख़त्म हो जाए- तो वह असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि वक्फ अधिनियम दक्षता का अभ्यास नहीं है, जैसा कि यह खुद को प्रस्तुत करता है, बल्कि मिटाने का अभ्यास है। नीरस शासन के पीछे नियंत्रण की साहसिक महत्वाकांक्षा छिपी हुई है। यह संस्थानों को सुधारने के बारे में नहीं बल्कि उनमें घुसपैठ करने, उन्हें नियंत्रित करने और बंद करने के बारे में है।

इस मौके पर इमरान प्रतापगढ़ी ने सुप्रीम कोर्ट के स्टे का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि जेपीसी में और बजट सत्र में बिल पर चर्चा के दौरान संसद में जिन सुझावों को नकार दिया गया था, आज सुप्रीम कोर्ट ने उन्हीं पर स्टे दिया है।

————–

(Udaipur Kiran) / दधिबल यादव

Most Popular

To Top