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मल्टी स्पेक्ट्रम चुनौतियों का सामना करने को तैयार हो रही हैं भारतीय सेनाएं : राजनाथ

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 'द वीक डिफेंस कॉन्क्लेव' के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए

– रक्षा मंत्री ने कहा, साइबर और स्पेस डोमेन तेजी से नए युद्ध क्षेत्र के रूप में उभरे ​

नई दिल्ली, 17 अप्रैल (Udaipur Kiran) । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को भविष्य के सैन्य युद्धों पर चिंता जताते हुए कहा कि आज साइबर और स्पेस डोमेन तेजी से नए युद्ध क्षेत्र के रूप में उभर रहे हैं। साथ ही पूरी दुनिया में नैरेटिव और परसेप्शन का भी एक युद्ध चल रहा है। इसलिए हम भारतीय सेनाओं को इन मल्टी स्पेक्ट्रम चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में संघर्ष और युद्ध ज्यादा हिंसक और अप्रत्याशित होंगे। साथ ही टेक्नोलॉजी के तेजी से हो रहे विकास के कारण भविष्य के युद्धों की तस्वीरें भी काफी हद तक बदल गई हैं।

राजनाथ सिंह राजधानी में ‘द वीक डिफेंस कॉन्क्लेव’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत की राष्ट्रीय रक्षा मजबूत हुई है, क्योंकि हमने उसे भारत की रक्षा और रणनीतिक आवश्यकताओं के अनुसार मजबूत किया है। इसका मतलब है कि आज न केवल भारतीय रक्षा क्षेत्र मजबूत है, बल्कि भारत का ढांचा भी मजबूती के साथ पूरी दुनिया में उभर रहा है। वह दिन दूर नहीं, जब भारत सिर्फ एक विकसित देश के रूप में सामने नहीं आएगा, बल्कि हमारी सैन्य शक्ति भी दुनिया में नंबर वन बनकर उभरेगी। डिफेन्स सेक्टर में आत्मनिर्भरता को और अधिक बढ़ावा देने के लिए और अपने सुरक्षा उपकरणों को और भी मजबूत करने के लिए रक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2025 को ‘सुधारों का वर्ष’ घोषित किया है। यह संकल्प सिर्फ एक टैग लाइन नहीं है, बल्कि हमारी प्रतिबद्धता है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि आज के इस डिफेंस कॉन्क्लेव की थीम ‘फोर्स फॉर दि फ्यूचर’ है। इसलिए सरकार में आने पर हमारे सामने डिफेंस को लेकर एक अजीब सोच को लेकर सबसे बड़ी चुनौती थी। उस समय फोर्स फॉर दि फ्यूचर की बात सोचने का भी साहस लोग नहीं करते थे क्योंकि कोई भी मौजूदा तैयारी दिखाई नहीं देती थी। देश में एक मजबूत डिफेंस सेक्टर होना चाहिए, इस पर कोई काम मजबूती से नहीं हो रहा था। अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए उस समय की सरकार की बस यही सोच थी, बहुत होगा तो आयात कर लेंगे। सबसे पहले हमने फैसला लिया कि भारत अपनी डिफेंस की जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर अपनी निर्भरता कम करेगा और देश में एक ऐसा रक्षा औद्योगिक परिसर तैयार करेगा, जो केवल भारत की जरूरतों को नहीं, बल्कि दुनिया में रक्षा निर्यात को भी मजबूत करेगा।

उन्होंने कहा कि जब हम ‘मेक इन इंडिया’ की ओर बढ़ रहे थे, तो उस समय हमने घरेलू कंपनियों के हितों पर भी ध्यान दिया। घरेलू कंपनियों को बढ़ावा देने के प्रयासों का ही परिणाम है कि 2014 के आसपास हमारा घरेलू रक्षा उत्पादन लगभग 40 हजार करोड़ था, लेकिन आज हमारा घरेलू रक्षा उत्पादन लगभग 1 लाख 27 हजार करोड़ के रिकॉर्ड आंकड़े को पार कर गया है और इसमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इस साल हमारा रक्षा उत्पादन का लक्ष्य 1.60 लाख करोड़ रुपये के पार ले जाने का है, जबकि 2029 तक 3 लाख करोड़ रुपये के रक्षा उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। भारत आज स्वदेशी मिसाइल, सबमरीन, एयरक्राफ्ट कैरियर, ड्रोन, साइबर डिफेंस और हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी के सहारे दुनिया के अन्य विकसित देशों से मुकाबला कर रहा है।—————–

(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम

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