Haryana

हिसार : मशरूम का प्रसंस्करण करके की जा सकती अच्छी आमदनी प्राप्त : डॉ. अशोक गोदारा

प्रशिक्षण के समापन अवसर पर विशेषज्ञ प्रतिभागियों के साथ

हकृवि में मशरूम उत्पादन तकनीक पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न

हिसार, 15 अप्रैल (Udaipur Kiran) । हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय स्थित सायना नेहवाल

कृषि प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण एवं शिक्षा संस्थान में मशरूम उत्पादन तकनीक विषय पर

तीन दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया। प्रशिक्षण में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और

उत्तर प्रदेश के 72 युवक एवं युवतियों ने भाग लिया। कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज के मार्गदर्शन

में विभिन्न विषयों पर पूरा वर्ष किसानों, बेरोजगार युवाओं एवं महिलाओं के कौशल विकास

के लिए इस तरह के प्रशिक्षण आयोजित किए जाते हैं।

संस्थान के सह-निदेशक डॉ. अशोक कुमार गोदारा ने मंगलवार काे कहा कि मशरूम को एक व्यवसाय

के रूप में अपनाकर कोई भी भूमिहीन युवा और किसान कम लागत में एक अच्छा रोजगार स्थापित

कर सकते हैं। मशरूम का प्रसंस्करण करके या मूल्य संवर्धित उत्पाद तैयार करके भी अच्छी

आमदनी प्राप्त की जा सकती है। मशरूम एक संतुलित आहार है। जिसमें विभिन्न प्रकार के

पौष्टिक तत्व जैसे खनिज, विटामिन, अमीनो एसीड्ज, प्रोटीन आदि प्रचुर मात्रा में उपलब्ध

होने के साथ-साथ कई तरह के औषधीय गुणों से भी भरपूर होती हैं जो मनुष्य को कई रोगों

से बचाने में सहायक मानी गई है। उन्होंने बताया कि संस्थान में मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी

पालन, केंचुआ खाद उत्पादन, संरक्षित खेती, बेकरी, फल-सब्जी सहित मूल्य संवर्धित उत्पाद

तैयार करने के भी प्रशिक्षण दिए जाते हैं। प्रशिक्षण में प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण- पत्र भी वितरित किए

गए।

प्रशिक्षण संयोजक डॉ. सतीश कुमार मेहता ने जंगली मशरूम, विषैली मशरूम, खाद्य

मशरूम और औषधीय मशरूम आदि के गुणों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बटन मशरूम, ढींगरि, दूधिया,

गैनोडरमा कोर्डिसेप, शिटाके आदि के बारे में

विस्तृत जानकारी दी। प्रशिक्षण के दौरान सब्जी विभाग के सहायक वैज्ञानिक डॉ. विकास

कम्बोज ने सफेद बटन मशरूम के उत्पादन से संबंधित मौसमी और नियंत्रित वातानुकूलित उत्पादन

प्रक्रिया पर विस्तार से प्रकाश डाला। मशरूम के लैब इचार्ज डॉ. जगदीप सिंह ने बटन मशरूम

में कंपोस्टिंग और केसिंग बारे में जानकारी दी। पौध रोग विभाग के डॉ. अमोघवर्षा ने

शीटाके मशरूम उत्पादन तकनीक पर अपने विचार

रखें। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राकेश कुमार चुघ ने ढींगरि, कोर्डिसेप के महत्व, उत्पादन

विधि, बाजार में मांग आदि के बारे में जानकारी दें। डॉ. डीके शर्मा ने मशरूम कैनिंग,

आचार तैयार करने के अलावा इसके कई मूल्य संवर्धित उत्पाद जैसे बिस्कुट, पापड़, वडिय़ां,

कैंडी, केक इत्यादि व्यंजन बनाने की जानकारी दी। प्रशिक्षण के दौरान डॉ. विकास हुड्डा,

डॉ. संदीप भाकर डॉ. सरोज यादव, डॉ. भूपेंद्र सिंह ने भी विभिन्न विषयों के बारे में

विस्तार से जानकारी दी।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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