






डॉ अंबेडकर और डॉ हेडगेवार का एक ही ध्येय था समरस समाज
गोरखपुर, 14 अप्रैल (Udaipur Kiran) । डॉ. हेडगेवार द्वारा विजयादशमी 1925 में रोपित बीज अब वट वृक्ष बन चुका है जिसके फलस्वरूप देशभक्ति का एक प्रचंड स्वरूप समाज में दिखाई दे रहा। देश की समस्याओं का समाधान प्रखर राष्ट्रभक्ति का अलख जगाने से होगा। संघ की शाखा समाज और राष्ट्र को सुरक्षित रखने के लिए शक्ति प्रदान करने वाला एक केंद्र है। शाखा में राष्ट्रीयता और राष्ट्रभक्ति का प्रमाण दिखता है,जिसके माध्यम से सर्व समाज को लेकर चलने की प्रेरणा स्वयंसेवकों को मिलती है। उक्त बातें गोरक्ष प्रांत के प्रांत प्रचारक रमेश ने दिग्विजयनाथ पार्क तारामंडल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गोरखपुर दक्षिणी भाग द्वारा आयोजित शाखा संगम कार्यक्रम में उपस्थित स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा।
डॉ अंबेडकर और डॉ हेडगेवार का एक ही ध्येय था समरस समाज
प्रांत प्रचारक रमेश ने कहा कि डॉ भीमराव अंबेडकर का पूरा नाम डॉ भीमराव राम जी अम्बेडकर था, लेकिन वामपंथियों एवं कुछ तथाकथित लोगों को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के नाम से इतना घृणा हो गई कि उनके नाम से भगवान राम का नाम तक बाहर कर दिया और इतने बड़े समाज सुधारक को एक जाति में बांधकर रख दिया। उस समय समाज में कुरीतियां विसंगतियां थी पर तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए उन्होंने संघर्ष के बीच कामयाबी हासिल की और समाज में बहुत बड़े स्तर पर सुधार की।
उन्होंने संदेश दिया कि शिक्षित बनो,संघर्ष करो और संगठित रहो,यही काम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कर रहा। शिक्षित बनाने, प्रशिक्षित बनाने और आततायियों से संघर्ष की दिशा में समाज को संगठित करने का कार्य कर रहा। डॉ अंबेडकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से बहुत प्रभावित थे। 1939 में डॉ अंबेडकर ने संघ के एक शिविर में समानता, समरसता और एकता देख कर वो बहुत खुश हुए। वहीं 2 जनवरी 1940 में जब उन्हें एक शाखा के एकत्रीकरण में जाने का अवसर मिला तो स्वयंसेवकों का समाज और राष्ट्र के प्रति समर्पण भाव देख बहुत प्रभावित हुए। शाखा और शिविर में छोटे बड़े सभी वर्गों के लोगों को एक साथ रहते,एक साथ भोजन करते और एक साथ निवास करते हुए देख डॉ अंबेडकर ने कहा कि ऐसी समानता और समरसता किसी संगठन में नहीं देखी। संघ समाज में बहुत अच्छा कार्य कर रहा इसकी गति बढ़ाने की जरूरत है।संघ समाज में जितना समरस होगा, समाज उतना की सशक्त होगा। डॉ अंबेडकर और हेडगेवार का एक ही ध्येय था वो था समरस समाज। संघ और डॉ अंबेडकर के विचार एक समान थे दोनों ही अखंड राष्ट्रवाद के पक्षधर है। समान नागरिक संहिता, धारा 370, हिन्दू हिंदुत्व समरसता जैसे कुछ ऐसे विषय थे जिस पर संघ और डॉ अंबेडकर एक समान राय रखते थे। संघ के तृतीय सरसंघचालक बालासाहेब देवरस ने छुआछूत मुक्त समाज की सदैव बात करते थे जो डॉ अंबेडकर के विचारों से प्रेरित था।
शाखा संगम शाखाओं का महाकुंभ
आगे उन्होंने कहा कि 2 अक्टूबर 2025 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष मनाया जायेगा।सात चरणों में अलग अलग कार्यक्रम होंगे।आज यहां दक्षिण भाग के शाखाओं का महाकुंभ शाखा संगम के रूप में हुआ है।।शाखा संगम के माध्यम से यह प्रयास किया गया है कि स्वयंसेवकों में मानस भाव बने कि सामूहिक कार्यक्रम कैसे करना है। हमें शताब्दी वर्ष में संघ का विराट स्वरूप हमें गांव गांव तक लेकर जाना है। घर घर तक संघ का संपर्क हो जाए इसका प्रयास करना है।
मंच पर मुख्य वक्ता रमेश के साथ प्रांत संघचालक डॉ महेंद्र अग्रवाल, सह भाग संघचालक शिव शंकर उपस्थित रहे। शाखा संगम में एक ही मैदान में दक्षिण भाग के 10 नगरों में संचालित 82 शाखाएं अलग अलग लगी, जिसमें हर आयु वर्ग के 1365 स्वयंसेवकों सम्मिलित हुए। सभी शाखा एक साथ लगी और शाखा में होने वाली गतिविधियां जैसे योग, आसन, सूर्यनमस्कार, खेल आदि संचालित की गई।
(Udaipur Kiran) / प्रिंस पाण्डेय
