
जबलपुर, 13 अप्रैल (Udaipur Kiran) । दमोह के मिशन अस्पताल में फर्जी डॉक्टर की वजह से हुई मौतों को लेकर प्रदेश सरकार अलर्ट हो गयी है। जिसके चलते प्रशासन ने निजी अस्पतालों और क्लीनिकों में चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक बड़ा कदम उठाते हुए निर्देश जारी किए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए 21 अप्रैल तक जिले के सभी निजी अस्पतालों को अपने चिकित्सा अधिकारियों की प्रमाणित योग्यता एवं पंजीकरण की पुष्टि करने का आदेश दिया है। इस निर्देश के बाद जबलपुर के लगभग 153 निजी अस्पतालों में हडक़ंप मच गया है। इन सभी निजी अस्पतालों को 21 अप्रैल से पहले अपने यहां पदस्थ वरिष्ठ चिकित्सकों सहित जूनियर चिकित्सकों तक के संबंध में शपथ पत्र के साथ संपूर्ण जानकारियाँ शासन को देना है।
जबलपुर जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजय मिश्रा के अनुसार मरीजों की देखभाल करने वाले सभी चिकित्सकों के पास मान्यता प्राप्त संस्थान से प्राप्त वैध चिकित्सा डिग्री हो । साथी ही मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद में पंजीकरण हो, अतिरिक्त विशेषज्ञ योग्यता का पंजीकरण अनिवार्य रूप से हो। यह आदेश राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019, क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट, 2010 एवं मध्य प्रदेश नर्सिंग होम एंड क्लिनिक एक्ट के तहत लागू किया गया है।
स्टाम्प पेपर पर शपथ पत्र की अनिवार्यता
सभी अस्पतालों को 21 अप्रैल तक सीएमएचओ कार्यालय को लिखित रिपोर्ट देना होगी, जिसमें सभी कार्यरत चिकित्सा अधिकारियों की योग्यता और पंजीकरण की जानकारी हो, साथ ही 100 रुपए के स्टांप पेपर पर यह शपथ-पत्र देना अनिवार्य होगा। स्वास्थ्य विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि यदि किसी चिकित्सक के पास आवश्यक प्रमाणपत्र या वैध पंजीकरण नहीं पाया गया, तो उसे चिकित्सा सेवा से तत्काल हटा दिया जाएगा। इसके साथ ही संबंधित अस्पताल संचालक को इस प्रक्रिया की जवाबदारी लेनी होगी।
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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक
