
गुमला,13 अप्रैल (Udaipur Kiran) । मुक्तिधाम, श्मसान और मसना यानि वह जगह मृतक का अंतिम संस्कार होता है। लेकिन वहां तक पहुंचने के जब सारे रास्ते बंद हो जाए तो मृतक के परिजनों को कैसी परेशानी का सामना करना पड़ता होगा, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। ऐसा ही एक मामला रविवार काे कामडारा प्रखंड मुख्यालय में देखने को मिली। शनिवार काे शंकर गोसांई नामक एक वृद्ध की बीमारी से मौत हो गई। परिजनों ने रविवार को शव यात्रा निकाली। जब ये लोग मसना के पास पहुंचे तो वहां तक जाने के लिए कोई रास्ता ही नहीं था। उन रास्तों पर मकान और चहारदिवारी का निर्माण हो चुका है।
जमीन के लालची लोगों ने मसना तक को नहीं छोड़ा । मृतक के परिजन काफी परेशान हो गयें। यह मसनास्थल कामडारा ब्लॉक चौक के समीप घनी आबादी के पास स्टेडियम की चहारदिवारी से सटा हुआ है । यहां छोटे बच्चों की मृत्यु होने पर शव का दफनाया जाता है ! मृतक के परिजनों ने कामडारा के उपप्रमुख शकुंतला देवी को पूरे मामले से अवगत कराया। इसके बाद कामडारा सीओ सुप्रिया एक्का को जानकारी दी गई । सीओ ने कामडारा के राजस्व कर्मचारी रवीन्द्र झा को तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप करने का निर्देश दिया । इसके बाद कामडारा थाना की पुलिस टीम और अंचल प्रशासन के सहयोग से शव को पिछले भाग से मसनास्थल में ले जाने का प्रयास किया गया था । पिछले भाग में रहने वालों ने अपने आंगन से शव ले जाने का विरोध कर दिया । इसके बाद शव को स्टेडियम मैदान के रास्ते प्रवेश कर चहारदिवारी पार कर मसनास्थल में दफन किया गया । मृतक के परिजनों का कहना है कि हमारे पूर्वज सात डिसमिल जमीन मसना स्थल के नाम किया हैं । मगर मसना स्थल के चारों ओर घर मकान और चहारदिवारी का निर्माण हो गया है। इससे मसना स्थल तक जाने के लिए कोई रास्ता नहीं बचा है। लोगों ने अंचल प्रशासन से मांग की है कि मसनास्थल के रास्ते की मापी करा कर रास्ते को अतिक्रमण मुक्त किया जाये ।
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(Udaipur Kiran) / हरि ॐ सुधांशु सुधांशु
