
–आरोपित की जमानत रद्द कर तीन हफ्ते में समर्पण का निर्देश
प्रयागराज, 11 अप्रैल (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पत्नी के हत्या में दोषसिद्ध की सत्र अदालत से मिली उम्रकैद की सजा बरकरार रखी है। और आरोपित की जमानत निरस्त कर दो हफ्ते में समर्पण करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला और न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरी की खंडपीठ ने बंदूराम की अपील खारिज करते हुए दिया है। रामपुर के शाहजाद थाने में 1984 में बंदूराम पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था। आरोप था कि वह अपनी पत्नी पर शक करता था। इसके चलते दोनों में अक्सर झगड़े होते थे। एक दिन बंदूराम ने अपनी पत्नी की गड़ासे से हत्या कर दी। ट्रायल कोर्ट ने 1986 में उम्रकैद की सजा सुनाई। इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।
अभियोजन पक्ष ने गवाहों और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों को पेश किया। हत्या में इस्तेमाल किए गए हथियार और खून से सने कपड़े भी प्रस्तुत किए गए। बचाव पक्ष ने अदालत में तर्क दिया कि बन्दू राम निर्दोष है और उसे इस मामले में गलत तरीके से फंसाया गया है। अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए गवाह अविश्वसनीय हैं।
कोर्ट ने पक्षों को सुनने के बाद अभियोजन पक्ष के मामले को स्वीकार कर लिया। अदालत ने कहा कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य और गवाहों के बयानों से यह साबित होता है कि बन्दू राम ने ही पत्नी की हत्या की थी। हत्या में इस्तेमाल किए गए हथियार को पुलिस के सामने प्रस्तुत करना, उसकी अपराध बोध की ओर इशारा करता है। कोर्ट ने उम्रकैद की सजा बरकरार रखी।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
