HEADLINES

एसपी को बुलाने पर होती है कार्रवाई शुरू तो क्यों ना हर मामले में इन्हें ही बुलाए- हाईकोर्ट

हाईकोर्ट जयपुर

जयपुर, 7 अप्रैल (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में लापता नाबालिगों की बरामदगी नहीं होने के मुद्दे पर डीजीपी की उपस्थिति में गंभीर टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं में हम पहले थानाधिकारी को बुलाते हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती। वहीं जैसे ही अदालत की ओर से संबंधित एसपी को बुलाते हैं तो मामले में कार्रवाई शुरू हो जाती है। कई मामलों में तो लापता की बरामदगी भी हो जाती है। जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और जस्टिस मुकेश राजपुरोहित ने यह टिप्पणी नाबालिग लापताओं के चार मामलों में सुनवाई करते हुए दिए।

सुनवाई के दौरान डीजीपी यूआर साहू अदालत में पेश हुए। उनके साथ आधा दर्जन से अधिक आईपीएस अधिकारी भी आए। अदालत ने कहा कि पुलिस नाबालिग गुमशुदाओं के मामले में गंभीर नहीं है। यदि रिपोर्ट दर्ज होने के दो-तीन दिन में जांच शुरू हो जाए तो लापता की बरामदगी की संभावना बढ जाती है। अदालत ने कहा कि आईजी अजयपाल लांबा के नेतृत्व में पुलिस ने एक साथ 827 बदमाशों को गिरफ्तार किया है। जब इन बदमाशों को पकडा जा सकता है तो फिर नाबालिग लड़कियों के मामलों में गिरफ्तारी या अभियान क्यों नहीं चलाए जा रहे। अदालत ने कहा कि नाबालिगों की बरामदगी को लेकर विशेष प्रयास किए जाने चाहिए। डीजीपी को ऐसे मामलों की मॉनिटरिंग रखनी चाहिए। वहीं डीजीपी ने अदालत को बताया कि पुलिस लापता लोगों की गंभीरता से तलाश करती है। पुलिस ने 96 फीसदी मामलों में लापताओं की बरामदगी की है। वहीं करीब 6500 लापताओं की तलाश की जा रही है। हर जिले में इसके लिए सेल बनी हुई है और लापताओं की तलाश के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

गौरतलब है कि शहर के रामगंज और प्रताप नगर सहित अन्य थाना इलाकों से लापता हुए नाबालिगों की बरामदगी नहीं होने पर दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने डीजीपी को पेश होकर अपना जवाब देने को कहा था।

—————

(Udaipur Kiran)

Most Popular

To Top