West Bengal

भाजपा सांसद ने सुप्रीम कोर्ट पर सीएम की टिप्पणी का विरोध करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा

भाजपा सांसद ने सुप्रीम कोर्ट पर सीएम की टिप्पणी का विरोध करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा

पुरुलिया, 07 अप्रैल (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को वंचित शिक्षकों के एक सम्मेलन में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद अपने अगले कदमों की घोषणा की। उन्होंने उस संदर्भ में फैसले के कई हिस्सों पर प्रकाश डाला। मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कुछ सवाल भी उठाए। भाजपा सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो ने देश के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि उन टिप्पणियों और सवालों से न्यायपालिका का अपमान हुआ है। पुरुलिया से भाजपा सांसद ने न्यायपालिका पर ममता बनर्जी की टिप्पणी के लिए स्वत: संज्ञान लेकर मामला दर्ज करने का अनुरोध किया है। इसके अलावा, उन्होंने कहा है कि राज्य निधि के वित्तीय स्रोतों की भी जांच की जानी चाहिए।

सोमवार को नेताजी इंडोर में रैली को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं एक केस स्टडी (वंचित शिक्षकों के आंकड़े) कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट अभी तक यह नहीं कह पाया है कि कौन योग्य है और कौन योग्य नहीं है। उसके पास नौकरी देने की शक्ति नहीं है। वह नौकरियां नहीं सकता। हमें चेहरे और मुखौटे के बीच अंतर समझने की जरूरत है।

इसके बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं 2024 के चुनाव के दौरान दुर्गापुर में जुलूस निकाल रहा था। हमने सुप्रीम कोर्ट से हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की अपील की। जस्टिस चंद्रचूड़ ने ऐसा किया। दूसरे मुख्य न्यायाधीश आए। उन्होंने यह देखे बिना कि कौन योग्य है या अयोग्य, पैनल को रद्द कर दिया! क्या इस फैसले के पीछे कोई खेल है? माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर मांग की है कि बेरोजगार ‘योग्य’ शिक्षकों को नई नियुक्तियां होने तक काम करने की अनुमति दी जाए।

मुख्यमंत्री की इन टिप्पणियों के बाद पुरुलिया से भाजपा सांसद ने देश के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को एक पत्र लिखा। पत्र में उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री शिक्षा भ्रष्टाचार को छिपाने और ‘अक्षम’ लोगों को बचाने के लिए न्यायपालिका पर सवाल उठा रही हैं, जो बिल्कुल भी वांछनीय नहीं है। सांसद ने सर्वोच्च न्यायालय में तीन सूत्रीय याचिका प्रस्तुत की है, जिसमें शीर्ष अदालत से स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया।

इसके अलावा, उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को यह भी जांच करनी चाहिए कि राज्य के खजाने में पैसा कहां से आ रहा है। उन्होंने यह भी मांग की कि न्यायपालिका पर लगातार हमला करने वालों को उचित सजा दी जाए। इसके साथ ही ज्योतिर्मय सिंह महतो ने आगे आरोप लगाया कि तृणमूल के जनप्रतिनिधि अक्सर न्यायाधीशों और न्यायपालिका के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करते हैं। पुरुलिया के सांसद ने सर्वोच्च न्यायालय का ध्यान इस ओर आकर्षित किया कि उन्हें उचित सजा दी जाए।

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(Udaipur Kiran) / धनंजय पाण्डेय

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