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सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में वीसी से सुनवाई है तो सीजीएसटी अपीलीय प्राधिकारी के यहां क्यों नहीं-हाईकोर्ट

हाईकोर्ट जयपुर

जयपुर, 5 अप्रैल (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने करदाताओं की ओर से कई बार आवेदन करने के बाद भी उन्हें सीजीएसटी अपीलीय प्राधिकारी की ओर से वर्चुअल हियरिंग की सुविधा नहीं देने को गंभीर माना है। अदालत ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में वर्चुअल सुनवाई है तो फिर अपीलीय प्राधिकारी द्वारा करदाताओं को वर्चुअल सुनवाई उपलब्ध नहीं करवाने का ऐसा कोई उचित कारण नहीं है। अदालत ने कहा कि करदाताओं को यदि बुनियादी ढांचे के अभाव में वर्चुअल सुनवाई की सुविधा नहीं मिल पा रही है तो केन्द्र सरकार को अपनी बुनियादी ढांचे को विकसित किया जाना चाहिए और करदाताओं को यह सुविधा दी जानी चाहिए। सीजे एमएम श्रीवास्तव व जस्टिस आनंद शर्मा की खंडपीठ ने यह निर्देश मैसर्स डीआर एन्टरप्राइजेज की याचिका पर दिया।

मामले से जुडे अधिवक्ता रवि गुप्ता ने बताया कि खंडपीठ ने प्रार्थी फर्म को भी राहत देते हुए 37.50 लाख रुपये की डिमांड के मामले में आगामी सुनवाई तक दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने के लिए कहा है। खंडपीठ ने संयुक्त आयुक्त, अपील्स, सीजीएसटी जयपुर को कहा है कि वे शपथ पत्र पेश कर बताए कि उन्होंने प्रार्थी को वर्चुअल हियरिंग की सुविधा क्यों नहीं दी। वहीं अदालत ने याचिका की कॉपी एएसजी ऑफिस को भिजवाते हुए उनसे पूछा है कि वे केन्द्र सरकार से निर्देश प्राप्त कर बताए कि प्रार्थी फर्म को वर्चुअल हियरिंग से मना क्यों किया गया। दरअसल सीजीएसटी ने याचिकाकर्ता फर्म की 37.50 लाख रुपये की डिमांड निकाली थी। जिसे अदालत में चुनौती दी गई थी।

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(Udaipur Kiran)

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सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में वीसी से सुनवाई है तो सीजीएसटी अपीलीय प्राधिकारी के यहां क्यों नहीं-हाईकोर्ट

हाईकोर्ट जयपुर

जयपुर, 5 अप्रैल (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने करदाताओं की ओर से कई बार आवेदन करने के बाद भी उन्हें सीजीएसटी अपीलीय प्राधिकारी की ओर से वर्चुअल हियरिंग की सुविधा नहीं देने को गंभीर माना है। अदालत ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में वर्चुअल सुनवाई है तो फिर अपीलीय प्राधिकारी द्वारा करदाताओं को वर्चुअल सुनवाई उपलब्ध नहीं करवाने का ऐसा कोई उचित कारण नहीं है। अदालत ने कहा कि करदाताओं को यदि बुनियादी ढांचे के अभाव में वर्चुअल सुनवाई की सुविधा नहीं मिल पा रही है तो केन्द्र सरकार को अपनी बुनियादी ढांचे को विकसित किया जाना चाहिए और करदाताओं को यह सुविधा दी जानी चाहिए। सीजे एमएम श्रीवास्तव व जस्टिस आनंद शर्मा की खंडपीठ ने यह निर्देश मैसर्स डीआर एन्टरप्राइजेज की याचिका पर दिया।

मामले से जुडे अधिवक्ता रवि गुप्ता ने बताया कि खंडपीठ ने प्रार्थी फर्म को भी राहत देते हुए 37.50 लाख रुपये की डिमांड के मामले में आगामी सुनवाई तक दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने के लिए कहा है। खंडपीठ ने संयुक्त आयुक्त, अपील्स, सीजीएसटी जयपुर को कहा है कि वे शपथ पत्र पेश कर बताए कि उन्होंने प्रार्थी को वर्चुअल हियरिंग की सुविधा क्यों नहीं दी। वहीं अदालत ने याचिका की कॉपी एएसजी ऑफिस को भिजवाते हुए उनसे पूछा है कि वे केन्द्र सरकार से निर्देश प्राप्त कर बताए कि प्रार्थी फर्म को वर्चुअल हियरिंग से मना क्यों किया गया। दरअसल सीजीएसटी ने याचिकाकर्ता फर्म की 37.50 लाख रुपये की डिमांड निकाली थी। जिसे अदालत में चुनौती दी गई थी।

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