Assam

अशोकाष्टमी पर पूरे असम में श्रद्धा की लहर, गुवाहाटी के घाटों पर उमड़ी श्रद्धालुओं का भीड़

अशोक अष्टमी पर पूरे असम में श्रद्धा की लहर,गुवाहाटी के  घाटों पर उमड़ा श्रद्धालुओं का भीड़।
अशोक अष्टमी पर पूरे असम में श्रद्धा की लहर,गुवाहाटी के  घाटों पर उमड़ा श्रद्धालुओं का भीड़।

गुवाहाटी, 05 अप्रैल (Udaipur Kiran) । अशोकाष्टमी के पावन अवसर पर आझ पूरे असम में भक्तिभाव और आस्था का अनुपम संगम देखने को मिला। चैत माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाए जाने वाले इस पर्व पर राज्य के विभिन्न जिलों में स्थित ब्रह्मपुत्र नद के तटों पर हजारों नहीं बल्कि लाखों श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान कर पुण्य अर्जित किया।

गुवाहाटी के पांडु घाट पर शनिवार की सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। उत्तर बंगाल के कूचबिहार स्थित श्री चैतन्य करुणामयी सेवा आश्रम के श्रद्धालु भी इस अवसर पर ब्रह्मपुत्र में स्नान करने पहुंचे। स्थानीय लोगों के साथ-साथ दूरदराज़ से आए श्रद्धालुओं ने इस पुण्यदायी स्नान में भाग लिया। घाट के किनारे छोटे व्यापारियों ने पूजा सामग्री व अन्य आवश्यक वस्तुओं की दुकानें लगाई, जिससे क्षेत्र में धार्मिक उत्सव के साथ-साथ जीवंत आर्थिक गतिविधि भी देखी गई।

कहा जाता है कि अशोकाष्टमी में ब्रह्मपुत्र नदी में स्नान करने से पुण्य लाभ होता है। इसलिए विशेष तिथि में पूरे राज्य भर में हजारों लोग ब्रह्मपुत्र नद में डुबकी लगाते हैं। अशोकाष्टमी में ब्रह्मपुत्र के किनारे जैसे गुवाहाटी, शुवालकुची, डिब्रूगढ़, तेजपुर, धुबड़ी, उत्तर गुवाहाटी के विभिन्न घाटों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। कुछ-कुछ जगह में मेला भी लगा।

तेजपुर के गणेशघाट पर भी ब्रह्मपुत्र के किनारे सुबह से भक्तों की भारी भीड़ देखी गई। दिनभर के कार्यक्रमों के साथ वहां अष्टमी मेला आयोजित किया गया, जिसमें हजारों श्रद्धालु सहभागी बने। इसी प्रकार धुबड़ी में भी अष्टमी के अवसर पर लाखों श्रद्धालु एकत्र हुए। पारंपरिक रूप से यहां अष्टमी मेला आयोजित होता है और इस दिन को पवित्र मानते हुए ब्रह्मपुत्र में स्नान कर भक्तजन पापमोचन और मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करते हैं। पहले यह उत्सव केवल सनातन धर्म के अनुयायियों तक सीमित था, लेकिन अब विभिन्न हिंदू सम्प्रदायों के लोग भी इस अवसर पर स्नान और पूजा-अर्चना में शामिल होते हैं।

बंगाईगांव जिले के ऐतिहासिक योगीघोपा घाट पर भी अष्टमी मेले का आयोजन किया गया, जिसमें बड़पेत्ता, चिरांग, कोकराझार और ग्वालपारा जिलों से हजारों श्रद्धालु पहुंचे। इस तीन दिवसीय मेले के दूसरे दिन आज सुबह हजारों भक्तों ने ब्रह्मपुत्र नद में पवित्र स्नान, मुंडन, पिंडदान और अस्थि विसर्जन जैसे धार्मिक कर्मकांड किए। धर्मशास्त्रों के अनुसार, इस विशेष तिथि पर ब्रह्मपुत्र में स्नान करना गंगा स्नान के बराबर पुण्यकारी माना जाता है।

नगांव जिले के कचुआ स्थित श्रीश्री माधव थान में इस वर्ष 87वां अष्टमी मेला आयोजित किया गया। यहां भी भक्तों ने सुबह बरपानी नदी में स्नान किया और दिन भर नाम-कीर्तन व अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लिया। असम के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां पहुंचे, जिससे यह पावन अवसर श्रद्धा, आस्था और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन गया।

(Udaipur Kiran) / देबजानी पतिकर

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