कोलकाता, 5 अप्रैल (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल में नौकरी गंवाने वाले हजारों शिक्षक और शिक्षाकर्मियों के बीच अप्रैल माह का वेतन मिलेगा या नहीं, इसे लेकर भारी असमंजस और चिंता का माहौल है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी अब तक किसी को औपचारिक बर्खास्तगी का नोटिस नहीं मिला है, जिस कारण कई शिक्षक और कर्मी शुक्रवार और शनिवार को स्कूल भी पहुंचे। हालांकि, बकाया वेतन को लेकर उनके मन में गहरी चिंता बनी हुई है।
चूयाडांगा हाई स्कूल के भौतिकी के शिक्षक राजकुमार बेहरा ने कहा, समझ नहीं आ रहा कि अप्रैल का वेतन मिलेगा या नहीं। हमारे ऊपर कई ईएमआई बकाया हैं। अब कैसे प्रबंधन करूंगा, कुछ समझ नहीं आ रहा। अभी तक बर्खास्तगी का कोई पत्र भी नहीं मिला है। ऐसे में स्कूल जाना चाहिए या नहीं, यह भी स्पष्ट नहीं है।
इसी तरह, झाड़ेश्वर हाई स्कूल (झाड़ग्राम) के शिक्षक मनोजीत माइती ने भी अपनी चिंता जताते हुए कहा, अगर अगले महीने वेतन नहीं मिला तो क्या होगा, इसकी कोई जानकारी नहीं है। मानवता के आधार पर योग्य लोगों को फिर से बहाल किया जाना चाहिए।
पंडित रघुनाथ मुर्मू विद्यालय (गढ़बेटा, ब्लॉक 3) की शिक्षिका मंजरी मन्ना ने भी अप्रैल के वेतन को लेकर अपनी चिंता जाहिर की।
स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के अध्यक्ष सिद्धार्थ मजूमदार ने शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा था, वेतन के विषय में कुछ भी कहना हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। आयोग नियोक्ता नहीं है, न ही आयोग वेतन देता है।
शिक्षा विभाग के मुख्यालय विकास भवन से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 25 हजार 752 शिक्षकों और शिक्षाकर्मियों की नियुक्ति रद्द होना तय है। इस आदेश को लागू करने के लिए राज्य सरकार पहले स्कूल सेवा आयोग को निर्देश देगी। उसके बाद आयोग माध्यमिक शिक्षा परिषद से इन नियुक्तियों को रद्द करने की सिफारिश करेगा। फिर संबंधित स्कूलों और प्रभारियों को नियुक्ति रद्द होने की सूचना भेजी जाएगी।
जब तक बर्खास्तगी संबंधी पत्र संबंधित व्यक्तियों के हाथ में नहीं आता, तब तक वे नियमित रूप से स्कूल जा सकते हैं। इस दौरान अप्रैल का वेतन पाने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। यदि कोई शिक्षक नैतिक या सामाजिक कारणों से स्कूल नहीं जाता है, तो उस पर शिक्षा विभाग की ओर से कोई टिप्पणी नहीं की जाएगी।
राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने कहा कि अभी तक ऐसी कोई सूचना नहीं है कि शिक्षक स्कूल नहीं जा रहे हैं।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
