Uttar Pradesh

पर्यावरण को मातृरूप में सम्मान देना हमारा कर्तव्य : हीरा लाल पटेल

कार्यक्रम के दौरान ली गई ग्रुप फोटो

कानपुर, 04 अप्रैल (Udaipur Kiran) । हमारी पहली मां हमें जन्म देती है, जबकि दूसरी मां पृथ्वी जल, जंगल और ज़मीन के रूप में हमें जीवन प्रदान करती है। सस्टेनेबिलिटी के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) के अनुप्रयोग विकसित किए जाने चाहिए। लेकिन साथ ही पर्यावरण को मातृरूप में सम्मान देना भी अनिवार्य है। यह बातें शुक्रवार को डॉ. हीरा लाल पटेल ने कही।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) 2.0 के तहत भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी कानपुर) में वाटरशेड विकास कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में जल गुणवत्ता प्रबंधन, जलवायु अनुकूलन और नवीन वाटरशेड दृष्टिकोण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. हीरा लाल द्वारा किया गया।

आईआईटी कानपुर प्रबंधन विज्ञान विभाग के प्रो. देवलिना चटर्जी ने कार्यशाला में उपस्थित पीएमकेएसवाई 2.0 के सभी कर्मियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जल संरक्षण की परम्परा प्राचीन काल से चली आ रही है। आज के समय में इंटरनेट ऑफ थिंग्स के माध्यम से स्मार्ट वाटर मैनेजमेंट सिस्टम विकसित किए जा रहे हैं, जिससे कृषि क्षेत्र में जल प्रबंधन को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।

इस कार्यशाला का उद्देश्य जल गुणवत्ता मैपिंग और अन्य नवीन तकनीकों के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण को बढ़ावा देना है। इसमें विभिन्न विशेषज्ञों शिक्षाविदों और नीति निर्माताओं ने भाग लिया और जल प्रबंधन से जुड़े अपने विचार साझा किए।

(Udaipur Kiran) / रोहित कश्यप

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