Jharkhand

सांसद मनीष जायसवाल ने बजट सत्र में उठाया विस्थापितों का मुद्दा

सांसद मनीष जायसवाल

रामगढ़, 3 अप्रैल (Udaipur Kiran) । संसद के बजट सत्र में हजारीबाग सांसद मनीष जायसवाल ने एक बार फिर विस्थापितों के हित में अपनी बात रखी। उन्होंने लोकसभा क्षेत्र के विस्थापन, प्रदूषण, रोज़गार सृजन जैसे गंभीर विषय पर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया। गुरूवार को अपने अभिभाषण में उन्होंने कहा कि हजारीबाग, रामगढ़, चतरा में सीसीएल और एनटीपीसी की ओर से कोयले के खदानों के लिए विस्थापन किया जा रहा है। हजारीबाग जिले के केरेडारी, बड़कागांव, डाडी, चुरचू प्रखंड और रामगढ़ जिले के मांडू एवं रजरप्पा में खदाने संचालित हो रही है।

सांसद ने कहा कि एनटीपीसी की जो कोल परियोजना संचालित है उसमें यह चार प्रकार से विस्थापितों को लाभ देते हैं। इसमें रैयत के जमीन का दाम, उनके एसेट का दाम, विस्थापन का लाभ और रोज़गार शामिल है। एनटीपीसी की ओर से विस्थापितों को हर प्रकार के मुआवजा और लाभ में छला जा रहा हैं। विस्थापितों को 40 लाख रुपए प्रति एकड़ जमीन का मुआवजा देना चाहिए। एसेट कंपनसेशन में भी विभेद करती है। पक्के मकान का दर 2000 रुपये प्रति स्वायर फीट और कच्चे मकान का दर 1500 रुपये प्रति स्वायर फीट होना चाहिए।

सांसद मनीष जायसवाल ने एनटीपीसी पर विस्थापन का लाभ देने में भी पेंच फंसाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पंकरी- बरवाडीह कोल माइंस 16 मई 2016 को शुरू हुई। उसी दिन के आधार पर एक कट ऑफ डेट तय किया गया कि इस दिन तक जिन लोगों का आयु 18 वर्ष होगा हम केवल उनको ही विस्थापन का लाभ देंगे। लेकिन जमीन का विस्थापन साल 2025- 26 में किया जा रहा है। एनटीपीसी ने विस्थापितों को साल 2016 से उनके जमीन पर रोक लगा दिया और वहां सेक्शन 4 और 9 लागू हो जाता है‌। इसके तहत उक्त जमीन में ना तो घर बन सकता है और ना ही इसे बेच सकता है। साल 2016 से परती रखकर अब जमीन अधिग्रहण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिस दिन से जमीन लिया जा रहा है उसी दिन से कंपनसेशन देना न्यायोचित होगा। कंपनसेशन का कट ऑफ डेट भी बढ़ाया जाना चाहिए।

एनटीपीसी अपने कार्य क्षेत्र में टोटल मैकेनाइज कर रही है। विस्थापित और प्रभावित क्षेत्र के लोग सिर्फ देखने के लिए और धूल गर्दा खाने के लिए हैं। आज के समय यहां से एनटीपीसी 15 मिलियन टन ट्रांसपोर्ट कर रही है। 2025 में 3 मिलियन टन रोड के जरिए ट्रांसपोर्ट करेगी और 2026 में इसे पूर्णतः खत्म करने की योजना है। इससे क्षेत्र के लोगों का रोजगार पूर्णता समाप्त हो जाएगा।

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(Udaipur Kiran) / अमितेश प्रकाश

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