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आत्मनिर्भरता की राह पर हिमाचल, मील का पत्थर साबित होगा इस साल का बजट : नरेश चौहान

फाइल फोटो : नरेश चौहान

शिमला, 2 अप्रैल (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश आत्मनिर्भर राज्य बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तुत वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट इस संकल्प को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान ने बुधवार को यह जानकारी दी।

चौहान ने कहा कि यह बजट प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में ठोस कदम उठाता है। सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए मक्की का न्यूनतम समर्थन मूल्य 30 रुपये से बढ़ाकर 40 रुपये प्रति किलो तथा गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 40 रुपये प्रति किलो से बढ़ाकर 60 रुपये प्रति किलो करने की घोषणा की है। साथ ही प्राकृतिक खेती से उगाई गई हल्दी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 90 रुपये प्रति किलो निर्धारित किया गया है। सरकार इन प्राकृतिक उत्पादों की खरीद को भी सुनिश्चित करेगी।

उन्होंने कहा कि पशुपालकों के हितों को ध्यान में रखते हुए बजट में गाय के दूध के न्यूनतम समर्थन मूल्य को 45 रुपये से बढ़ाकर 51 रुपये प्रति लीटर तथा भैंस के दूध के समर्थन मूल्य को 55 रुपये से बढ़ाकर 61 रुपये प्रति लीटर किया गया है। इससे पशुपालकों की आय में वृद्धि होगी और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।

नरेश चौहान ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण और हरित हिमाचल के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष से राजीव गांधी वन संवर्धन योजना लागू की जाएगी। इस योजना के तहत बंजर भूमि को हरा-भरा बनाने के लिए महिला एवं युवक मंडलों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। प्रत्येक समूह को पांच वर्षों में 6 लाख 40 हजार रुपये की सहायता राशि मिलेगी। इसके लिए 100 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया गया है।

उन्होंने कहा कि बजट में युवाओं के लिए रोजगार और स्वरोजगार के नए अवसर उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान दिया गया है। प्रदेश सरकार 25 हजार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराएगी। इसके अलावा परिवहन, इलेक्ट्रिक वाहनों के संचालन, फूड वैन जैसी पहलों के माध्यम से स्वरोजगार को भी प्रोत्साहित किया जाएगा।

विपक्ष द्वारा बजट और शराब ठेकों की नीलामी को लेकर लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए चौहान ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर को प्रदेश सरकार की आलोचना करने के बजाय केंद्र सरकार के समक्ष प्रदेश के हितों की आवाज उठानी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व सरकार के कार्यकाल में प्रदेश के हितों की अनदेखी की गई, जबकि वर्तमान सरकार विकास की राह पर अग्रसर है।

उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने अब तक 9 हजार करोड़ रुपये की पोस्ट डिजास्टर नीड एसेसमेंट राशि जारी नहीं की है, जो हिमाचल प्रदेश के लोगों का अधिकार है। चौहान ने केंद्र सरकार से इस राशि को जल्द जारी करने की मांग की ताकि प्रदेश में पुनर्वास और विकास कार्यों को गति मिल सके।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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