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भरी अदालत में गवाही दे रहे युवक को गोली मारने वाले को राहत नहीं

साकेंतिक फोटो

–हाईकोर्ट ने सत्र न्यायालय के आजीवन कारावास के फैसले को 39 साल बाद सही मानते हुए भेजा जेल

प्रयागराज, 01 अप्रैल (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला शाहजहांपुर की जिला अदालत में गवाही के दौरान युवक को गोली मारने वाले को राहत देने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने सत्र न्यायालय द्वारा आईपीसी की धारा 307 के तहत सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए 39 साल बाद अभियुक्त को फिर से जेल भेजने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने कहा है कि दोषी 1993 से जमानत पर है। लिहाजा, उसके जमानत बांड रद्द कर उसे तीन सप्ताह में सम्बंधित न्यायालय के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया जाता है। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिरला और न्यायमूर्ति अजहर हुसैन इदरीशी की खंडपीठ ने गेंदन लाल की अपील को खारिज करते हुए दिया है।

कोर्ट ने कहा कि घटना दिनदहाड़े चलती अदालत के अंदर हुई थी। जब पीठासीन अधिकारी के समक्ष बयान दर्ज किए जा रहे थे। ट्रायल कोर्ट द्वारा इसमें अधिकतम सजा दी गई है, जो कि सही है।

मामला जिला शाहजहांपुर के थाना कटरा के अंतर्गत खरकरी गांव का है। दो पक्षों के बीच चल रही रंजिश के मामले में 16 जून 1986 की दोपहर साढ़े बारह बजे सत्र न्यायालय में गवाही चल रही थी। अपीलार्थी गेंदन लाल ने अपने मौसेरे भाई करन लाल के इशारे पर गवाही दे रहे अपने विरोधी राम भरोसे लाल पर 315 बोर के देशी तमंचे से फायर कर दिया। गोली उसके शरीर में लगी। वह घायल हो गया। गेंदन लाल को पांच जिंदा कारतूसों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। सत्र न्यायालय ने सुनवाई करते हुए गेंदन लाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। गेंदन लाल ने सत्र न्यायालय के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने घटना को संदेह से परे साबित किया है। लिहाजा, अपीलार्थी गेंदन लाल को राहत नहीं दी जा सकती है।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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