
सवाल- क्या नीति के खिलाफ अधिकारी दे सकते हैं आदेश
प्रयागराज, 1 अप्रैल (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तबादला नीति को लेकर उठे विधिक मुद्दे तय करने को याचिका हाईकोर्ट की बृहद पीठ को संदर्भित कर दी है। सवाल है कि पति-पत्नी दोनों सरकारी नौकरी कर रहे हैं। नीति है कि दोनों को एक स्थान या नजदीक में तैनाती दी जाय। क्या सरकार की इस नीति को लागू करने को बाध्य किया जा सकता है। क्या तबादला नीति के खिलाफ पारित आदेश की न्यायिक समीक्षा की जानी चाहिए। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की एकलपीठ ने ललितपुर निवासी वरुण जैन की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि अजय कुमार श्रीवास्तव केस इन्हीं मुद्दों को लेकर बृहद पीठ को भेजा गया है। नीति को लागू करने की मांग में दाखिल इस याचिका को भी उसी के साथ संबद्ध किया जाय।
याचिका पर अधिवक्ता का कहना है कि याची की नियुक्ति तकनीकी सहायक तृतीय श्रेणी कर्मचारी के पद पर मृदा संरक्षण कार्यालय जालौन उरई में की गई थी। प्रदेश के आठ जिलों में शुरू एक प्रोजेक्ट के लिए याची का तबादला सिद्धार्थनगर कर दिया गया। कोविड- 19 के दौरान याची के पिता की मौत हो गई। उसकी पत्नी ललितपुर में अध्यापिका है। घर में बूढ़ी मां की देखभाल के लिए याची ने ललितपुर या नजदीक के जिले में तबादला करने की अर्जी दी। जिसे अपर जिला प्रशासन कृषि निदेशालय लखनऊ ने 29 नवम्बर 23 को निरस्त कर दिया। जिसे याचिका में चुनौती दी गई है।
याची का कहना है कि निदेशालय का आदेश सरकार की तबादला नीति का खुला उल्लघंन है। अधिकारियों को अपनी नीति के खिलाफ आदेश जारी करने का अधिकार नहीं है। ललितपुर व सिद्धार्थनगर की दूरी 700 किमी है। यात्रा के लिए कोई सीधी ट्रेन नहीं है। यात्रा में 22 से 24 घंटे लगते हैं। तबादला नीति है कि पति-पत्नी दोनों सरकारी नौकरी करते हों तो एक स्टेशन पर या नजदीक तैनाती की जाय। अपर निदेशक का आदेश तबादला नीति के खिलाफ हैं, इसे रद्द किया जाय और याची का ललितपुर या नजदीक के जिले में तबादला किया जाय। फिलहाल प्रकरण बृहद पीठ को संदर्भित किया गया है।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
