
जयपुर, 27 मार्च (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने तीन साल से वरिष्ठ अधिवक्ता नामित नहीं करने पर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से जवाब तलब किया है। जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और जस्टिस प्रमिल कुमार माथुर की खंडपीठ ने यह आदेश अधिवक्ता पूनमचंद भंडारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि राजस्थान हाई कोर्ट ने 24 जनवरी, 2022 के बाद अब तक वरिष्ठ अधिवक्ता नामित नहीं किए हैं। जबकि हाईकोर्ट के खुद के दिशा-निर्देशों के अनुसार हर दो साल में वरिष्ठ अधिवक्ताओं को नामित किया जाना चाहिए। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी नियम बनाकर वरिष्ठ अधिवक्ता नामित करने की गाइड लाइन जारी कर रखी है। इसके बावजूद हाईकोर्ट प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के आधार पर स्वयं के नियम नहीं बनाए हैं। जिसके चलते हाईकोर्ट के कई वरिष्ठ अधिवक्ता अब तक वरिष्ठ अधिवक्ता के तौर पर नामित नहीं हो पाए हैं। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने हाईकोर्ट प्रशासन से जवाब तलब किया है।
वकील 1052 दिन से दे रहे धरना- जनवरी, 2022 में वरिष्ठ अधिवक्ता नामित करने में धांधली का आरोप लगाते हुए याचिकाकर्ता सहित अधिवक्ता विमल चौधरी और अधिवक्ता टीएन शर्मा के साथ ही अन्य वकील बीते 1052 दिनों से हाईकोर्ट में धरना दे रहे हैं। वकील हाईकोर्ट परिसर में स्थापित महात्मा गांधी की मूर्ति के पास रोजाना एक बजे से दो बजे तक धरना देते हैं। वहीं एक हजार दिनों से धरने में शामिल होने वाले वकीलों की उपस्थिति भी दर्ज की जाती है। वकीलों का कहना है कि वरिष्ठ अधिवक्ता नामित करने में वरिष्ठता की अनदेखी कर मनचाहे और कम अनुभवी वकीलों को वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किया गया है।
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(Udaipur Kiran)
