
भोपाल, 27 मार्च (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के भोपाल गैस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड कारखाने में डम्प पड़े जहरीले कचरे को नष्ट करने के लिए पीथमपुर में हुए तीन ट्रायल रन की स्टेटस रिपोर्ट प्रदेश सरकार ने गुरुवार को उच्च न्यायालय में पेश कर दी। इसमें ट्रायल रन सहित सभी नियम-कायदों का पालन करने की पूर्ण जानकारी दी गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि जहरीले कचरे के निष्पादन के ट्रायल रन से किसी तरह का नुकसान सामने नहीं आया है। ट्रायल रन पूरी तरह सफल रहा है। अभी तक करीब 270 किलो प्रति घंटे की दर से कचरा जलाया गया है। इसकी सभी रिपोर्ट पूरी तरह से सफल रही है।
याचिकाकर्ता की ओर से उच्च न्यायालय में पेश हुए एडवोकेट खालिद फखरुद्दीन ने बताया कि प्रदेश सरकार की ओर से यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निष्पादन के ट्रायल रन की स्टेटस रिपोर्ट आज उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगल पीठ के समक्ष पेश की। सरकार की ओर से बताया कि केंद्रीय व राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल सहित अन्य एजेंसियों की देखरेख में कचरा जलाने के ट्रायल रन को गति दी गई थी। यही प्रक्रिया आगे भी जारी रखी जाएगी। अगर इसी गति से कचरा जलाया जाता है तो आगामी 72 दिनों में पूरा कचरा जल दिया जाएगा।
उच्च न्यायालय ने इस रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर ले लिया। साथ ही मामले की अगली सुनवाई 30 जून को निर्धारित कर दी है। सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को 72 दिनों में जहरीला कचरा जलाकर रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। उच्च न्यायालय ने सरकार को यह आदेश भी दिए हैं कि जहरीला कचरा जलाने के मामले में नियमों का पूरी तरह से पालन हो और किसी भी तरह की लापरवाही ना बरती जाए। वहां रहने वालों को किसी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए। अदालत ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निगरानी में यह पूरा कचरा जलाना चाहिए।
एडवोकेट खालिद फखरुद्दीन ने बताया कि सुनवाई के दौरान हस्तक्षेप आवेदनकर्ताओं की ओर से भी तर्क रखे गए। एक ने कहा कि 300 मीट्रिक टन कचरा जलाए जाने पर नए सिरे से 900 मीट्रिक टन कचरा पीथमपुर में एकत्र हो जाएगा। सवाल उठता है कि फिर वह तीन गुना कचरा कहां और कैसे जलाएंगे। एक ने सुझाव दिया कि पीथमपुर का नया कचरा भरूच के नो-मेन्स लैंड में डंप करने की व्यवस्था दे दी जाए। उच्च न्यायालय ने हस्तक्षेपकर्ताओं के सभी सुझाव, दावे-आपत्ति आदि राज्य सरकार के समक्ष रखने को स्वतंत्र कर दिया। सुनवाई के दौरान जनहित याचिकाकर्ता का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ और एडवोकेट खालिद फखरुद्दीन ने रखा। राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता हरप्रीत सिंह रुपराह भी सुनवाई के दौरान मौजूद रहे।
उच्च न्य्यालय के दिशा-निर्देशानुसार, यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे का निष्पादन के लिए पीथमपुर के तारपुरा गांव में स्थित रामकी एनवायरो फैक्टरी में तीन चरणों में ट्रायल रन किए गए। पहला ट्रायल रन 27 फरवरी को शुरू हुआ, जिसमें एक मार्च तक 135 किलो प्रति घंटे के हिसाब से 10 टन जहरीला कचरा दहन किया गया। इसके बाद दूसरा ट्रायल रन में 4 से 7 मार्च और तीसरा ट्रायल रन 10 से 12 मार्च को तक हुआ। दूसरे फेस में 170 किलो प्रति घंटा और तीसरे में 270 किलो वेस्ट प्रति घंटे के हिसाब से 10-10 टन कचरा जलाया गया।
गौरतलब है कि 2-3 दिसंबर 1984 की दरमियानी रात भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्टरी से मिथाइल आइसोसाइनेट (मिक) गैस का रिसाव हुआ था, जिससे हजारों लोग मारे गए और लाखों प्रभावित हुए थे। भोपाल गैस त्रासदी के चार दशक बाद यूनियन कार्बाइड कारखाने में डम्प पड़े जहरीले कचरे का निष्पादन का रास्ता साफ हो पाया है। उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार पीथमपुर में इस कचरे को नष्ट किया जा रहा है।————-
(Udaipur Kiran) तोमर
